सागर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने सागर में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि ‘‘कांग्रेसियो में यदि नैतिकता है और न्यायालय प्रक्रिया में विश्वास है तो दिग्विजय शासनकाल में हुईं अवैध नियुक्तियों की जांच की मांग करें और दिग्विजय सिंह के पुतले जलाए।’’
उन्होनें कहा कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के द्वारा दिनांक 06 अगस्त 2015 को न्यायमूर्ति श्री ए.एम. खानविलकर एवं न्यामूर्ति श्री के. के. त्रिवेदी की पीठ ने दिग्विजय सिंह शासनकाल में हुई सीधी नियुक्तियों के संबंध में कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने नियमों को ताक पर रखकर रीवा के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी अरूण तिवारी को उपयंत्री के पद पर नियुक्त कर दिया। माननीय उच्च न्यायालय ने कहा कि इस तरह की अवैध नियुक्तियों से उन लोगों का हक मारा जाता है जो योग्य हैं। जनप्रतिनिधि का यह नैतिक दायित्व है कि वह नियमों के दायरे में रहकर शासन करे। क्योंकि वे पद संभालने के दौरान इसकी शपथ लेते हैं।
श्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव को निर्देश दिये हैं कि चार माह में रिपोर्ट पेश करे और नियुक्ति करने वालों पर भी कार्रवाई की जाये। ईओडब्ल्यू के द्वारा जांच में पाया गया है कि 2001 में आर. के.डी. एफ. कॉलेज के द्वारा नियम विरूद्ध दाखिले पर तत्कालीन मुख्य सचिव ने कॉलेज पर 25 लाख का जुर्माना लगाया था। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और मंत्री राजा पटैरिया ने आर्डर सीट जारी कर 20 लाख रूपए माफ कर दिये। इसी तरह से दिग्विजय सिंह शासन में सिर्फ सिंचाई विभाग में 236 नियुक्तियां सामने आई हैं जिनमें इंजीनियर बगैर कोई परीक्षा पास किए प्रमोशन पाते गये।
उन्होनें कहा कि कांगेस के शासनकाल में हजारों की संख्या में फर्जी नियुक्तियां हुई हैं एवं प्रदेश की जनता का अरबों रूपए लुटाया गया है। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद कांगे्रस के नेताओं से पूछना चाहते हैं कि इस संबंध में उनका क्या कहना है। कांग्रेस में यदि नैतिकता है तो हर दिन पुतले जलाने वाले कांग्रेस के नेताओं से यह भी पूछना चाहते हैं कि दिग्विजय सिंह के पुतले क्यों नहीं जला रहे। एवं दिग्विजय सिंह शासनकाल के 10 वर्षों में हुई अवैध नियुक्तियों की सीबीआई जांच की मांग कांगे्रसी क्यों नहीं करती ?
