राकेश दुबे @ प्रतिदिन। और अमेरिका भारत-पाक के मध्य वार्ता टूटने से नाखुश है। बात क्यों टूटी जग जाहिर है। पाकिस्तान अपनी हरकतों से बज नहीं आ रहा है। पिछले साल भी भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ विदेश सचिव स्तर की बातचीत इसीलिए रद्द कर दी थी, क्योंकि तब भी भारत में पाकिस्तान के राजदूत ने हुर्रियत नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया था।
शायद पाकिस्तान सरकार ने इसे बिना किसी ठोस कारण प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है, वह बताना चाहती है कि वह कश्मीरियों की कितनी हमदर्द है, जबकि भारत इसमें जगजाहिर अलगाववादियों की भागीदारी नहीं चाहता। पाकिस्तान का सबसे प्रभावशाली तबका, यानी सेना और कट्टरवादियों का गठजोड़ यह नहीं चाहता कि भारत के साथ शांति की कोई भी पहल की जाए। अब यह साबित हो गया है कि आगे जब भी बातचीत की पहल होगी, वह हुर्रियत से पहले बातचीत करने की शर्त रख देगा, ताकि बातचीत नहीं हो सके। विश्व शांति के समर्थक अमेरिका जैसे देशों को निष्पक्ष होकर सोचना चाहिए, कौन सही और कौन गलत।
वैसे इस बातचीत में भारत का पलड़ा भारी था। उधमपुर और गुरदासपुर में हुए आतंकवादी हमलों में पाकिस्तानी नागरिकों का हाथ होना साबित हो चुका है और एक आतंकवादी जिंदा भी पकड़ा गया है, जिसके पाकिस्तानी नागरिक होने के सबूत हैं। यूं तो पाकिस्तान को कितने ही सबूत दिए जाएं, वह उन्हें पर्याप्त मानने से इनकार करता रहा है या टालमटोल करता रहा है, लेकिन ठोस सबूत होने पर पाकिस्तान सत्ता प्रतिष्ठान के लिए असुविधा पैदा होती है और जवाब देना उसके लिए मुश्किल हो जाता है। केंद्र में सत्तारूढ़ राजग सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल खुफिया एजेंसी के मुखिया रहे हैं और पाकिस्तान के विशेषज्ञ माने जाते हैं, वह कुछ वक्त पाकिस्तान में रहे भी हैं। अच्छा होता कि उन्हें पाकिस्तानी सुरक्षा सलाहकार के साथ बातचीत करने का मौका देता।
भाजपा जब भी विपक्ष में रही, वह पाकिस्तान के मामले पर सख्त रवैया अपनाने पर जोर देती रही लेकिन जब भी यह पार्टी सत्ता में आई है, तब उसने बहुत लचीला और व्यवहार सम्मत रवैया अपनाया है। भारत के जिस प्रधानमंत्री को कश्मीर में सबसे ज्यादा लोकप्रियता मिली, वह भी अटल बिहारी वाजपेयी ही थे। मोदी भी आम तौर पर वाजपेयी की ही नीति को अपनाए हुए हैं, जो भारत की दूरगामी विदेश नीति के अनुरूप ही है। पाकिस्तान ये हरकतें बंद करे अमेरिका के ये प्रयास हों|
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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