हमारे सभी संविदा, अध्यापक साथियों नमस्कार,
वर्ष 1998 से हम लगातार संघर्ष कर रहे हैं, इस दौरान हमारे अनेकानेक साथी सेवानिवृत्त हो गए तो अनेक असमय काल कवलित हो गए। आज वे सभी परिवार आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं। सरकारों ने हमारी बेरोजगारी एवं आपसी फूट का जबरदस्त फायदा उठाया है। पहले 500 और फिर 2256 से शुरू हुई यह यात्रा आज भी संघर्ष के पथ पर है। इस दौरान जहाँ हमारा शोषण पहले की कांग्रेस सरकार ने किया और अब हमसे वादा करने के बावजूद सत्ताधारी भाजपा कर रही है। वहीं दूसरी ओर हमारे बीच के संघ और संगठनों ने उससे भी ज्यादा शोषण अपनी व्यक्तिगत राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए किया है। हम अनेक बार भोपाल से लेकर दिल्ली तक अपने हर नेता के बुलावे पर गए। लाठियां खाईं, जेल गए, भोपाल की गलियों को हिला कर रख दिया। परन्तु हमारे ही स्वार्थी नेताओं ने हर बार समझौता कर आज हमें इस जगह लाकर खड़ा कर दिया है कि हमारे सभी पड़ौसी राज्यों महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान और उत्तरप्रदेश में कार्यरत शिक्षकों से 15 से 17 हजार रू0 हमारा वेतन कम है। इस प्रकार प्रतिवर्ष लगभग 75000/- कम वेतन हम अन्य राज्यों की तुलना में पा रहे हैं। और यह सब हुआ हमारे बीच बैठे स्वार्थी नेताओं के कारण।
साथियो आप सभी जानते हैं कि हमारी भीड़ के सहारे सरकार में विधायक बनने के बावजूद भी हमारे एक नेता जी अध्यापकों की वास्तविक पीड़ा से सरकार को अवगत तक नहीं करा पाए हैं। क्या ऐसे नेताओं पर और विश्वास किया जा सकता है?
आजाद अध्यापक संघ के प्रान्त अध्यक्ष भरत पटैल और सहयोगियों ने सभी संगठनों के नेताओं से सम्पर्क कर एक होने की अपील भी की, हाथ जोड़े, मिन्नतें कीं, परन्तु सब के स्वार्थ इतने अधिक हैं कि वे एक होने को तैयार नहीं हैं, और सभी चुनावी वर्ष की राह ताकते हुए अपने नेताओं के स्वार्थ सिद्धि हेतु सरकार को ब्लैक मेल करना चाहते हैं, अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकना चाहते हैं। इसलिए साथियों आजाद अध्यापक संघ ने तय किया है कि अब संघ और संगठनों द्वारा एकता की अपील नकारने के बाद आम अध्यापक के श्री चरणों में नमन कर संगठित हो जाने और सम्मान बचाने की गुहार करता है। आपसे सिर्फ सितम्बर माह में एक माह का सहयोग की मांग करते हैें। इसे आप एक आम अध्यापक की लड़ाई मानते हुए इस संघर्ष में तन,मन और धन से साथ दें।
हमने मध्यप्रदेश में अध्यापक जागरण एवं एकीकरण हेतु ऐतिहासिक दिवस 23 जुलाई 2015 को आजाद के जन्म दिवस पर आजाद की जन्म स्थली से ‘‘ आजाद रथ ’’ को हरी झंडी दी है। हमने हमारे मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी से एक मात्र माँग रखी है कि 5 सितम्बर 2015 ‘‘शिक्षक दिवस’’ के पूर्व हमको शिक्षक बना कर समान कार्य का समान वेतन प्रदान कर दें।
इस दौरान हम आजाद रथ के माध्यम से आप सभी के बीच आ रहे हैं। आजाद रथ के आगमन के साथ हम सभी अपनी एक जुटता का परिचय समस्त संघ भेद बिसार कर प्रदान करें। यदि 5 सितम्बर 2015 तक हमारी एक मात्र माँग शिक्षा विभाग में संविलियन और समान कार्य समान वेतन पर विचार नहीं किया गया तो दिनांक 10,11 एवं 12 सितम्बर से धरना प्रदर्शन, हडताल, तालाबंदी सहित आंदोलन का प्रारंभ कर देंगे और दिनांक 13 सितम्बर 2015 से संभागवार धरना के उपरांत 23 सितम्बर 2015 से प्रांत अध्यक्ष भरत पटैल एवं अन्य सहयोगी अध्यापक आमरण अनशन हेतु बैठ जाऐंगे।
और यह सब तभी संभव हे जब आप सभी पूरी तन्मयता से सहयोग प्रदान करेंगे।इस लड़ाई, इस आंदोलन को अध्यापक अस्मिता का प्रतीक बना दे साथियों। यदि हम ऐसा कर पाए तो हमारा भविष्य , हमारे बच्चों का भविष्य संवर जावेगा। हमारा, हमारी बहनों और मातृशक्तियों से भी विनम्र निवेदन हैे कि अपने अपने परिवार जनों से इस विषय पर चर्चा करें और आंदोलन में जीवंत सहयोग सपरिवार प्राप्त करने हेतु आर्शीवाद प्राप्त करें हम भाईयों के साथ इस संघर्ष को सफल बना देवें।
हमने देखा है कि सांसदों और विधायकों में दलगत और विचारधारा के मतभेद होते हुए भी वेतनवृद्धि प्रस्ताव ध्वनिमत से स्वीकार कर लिए जाते हैं तो हम एकजुट होकर अपने वेतन क्यों नहीं बढ़वा सकते।
हम आप सबसे आह्वान करते हैं कि सिर्फ एक बार सभी अध्यापक साथी अभी नहीं कभी नहीं के नारे को बुलंद करते हुए आ जाऐं तो निश्चित हम अपना अधिकार पा कर रहेंगे।
‘‘ जागो साथियो जागो, माँग लो अपना अधिकार, ले लो अपान अधिकार’’
‘‘ हम होंगे कामयाब इस बार, अब नहीं सहेंगे अत्याचार’’
अपीलकर्त्ता
समस्त सदस्य
आजाद अध्यापक संघ
मध्यप्रदेश