जबलपुर। कर्मचारी से उठक-बैठक कराने वाले आरोपी मंत्री गौरीशंकर बिसेन को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। आरोप है कि मंत्री जी ने एक कर्मचारी को बुलवाया, वो नहीं आया तो तबादला करवा दिया। हाईकोर्ट ने तबादले पर स्टे दे दिया है।
शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर व जस्टिस जेके माहेश्वरी की डिवीजन बेंच में सिवनी निवासी राधेश्याम दुबे के अधिवक्ता रवीन्द्रनाथ त्रिपाठी व नरेन्द्रनाथ त्रिपाठी ने बताया कि दुबे डीईओ ऑफिस सिवनी में पदस्थ हैं। उन्हें मंत्री गौरीशंकर बिसेन के पत्र के आधार पर मरगोडी ग्राम स्थानांतरित किया गया है। हकीकत यह है कि उन पर दबाव बनाया जा रहा था। दबाव में न आने पर तबादले का आदेश जारी कर दिया गया।
एक शिक्षक की शिकायत को बनाया आधार
पीड़ित दुबे का आरोप है कि उसके तबादले के लिए विजय कुमार नामक एक शिक्षक से शिकायत करवाई गई कि मैं ठीक से काम नहीं करता हूं, जबकि मंत्री ने अपने पत्र में डीईओ को लिखा है कि दुबे की शिकायत जनप्रतिनिधियों ने की है। इसलिए उसे दूसरी जगह स्थानांतरित किया जाना चाहिए। इससे पहले भी शिवराम नामक एक व्यक्ति ने ऐसी ही शिकायत की थी जो जांच के बाद झूठी पाई गई।
ट्रांसफर इंडस्ट्री चला रहे
याचिकाकर्ता का यह भी आरोप है कि मंत्री ट्रांसफर इंडस्ट्री चला रहे हैं। इसके तहत वह अपने पास शिकायतें मंगवाते हैं। इनके आधार पर कर्मचारियों को बुलाकर दबाव बनाया जाता है। जो बात नहीं मानते उन्हें सजा दी जाती है।
