राकेश दुबे प्रतिदिन। आज तीन सुर्खियाँ हैं। मध्यप्रदेश काडर के पूर्व आईएएस राजन एस कटोच को समय से पूर्व मुक्त करना, गुजरात के आएपीएस संजीव भट्ट की बर्खास्तगी और उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के शिक्षक शिव कुमार पाठक की बर्खास्तगी।
राजन कटोच और संजीव भट के लिए लिए गये निर्णयों के पीछे छोटे बड़े कारण खोजे और गिनाये जा सकते हैं, पर शिव कुमार पाठक की बर्खास्तगी तो सरकारी दुराग्रह का सीधा उदाहरण है। वह भी उस सरकार का जो समाजवाद का ढिंढोरा पीटती है। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के लम्भुआ में स्कूल शिक्षक शिव कुमार पाठक को सरकार ने बर्खास्त कर दिया है और कार्रवाई की वजह विद्यालय में अनुपस्थिति बताई है। पाठक ने राज्य में शिक्षा की बदहाली दूर करने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। अब उन्हें बर्खास्त किया गया है।
उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में यह आदेश दिया था कि उत्तर प्रदेश में मंत्रियों, अधिकारियों, न्यायाधीशों और सरकार से वेतन पाने वाले सभी कर्मचारियों के बच्चों का सरकारी प्राथमिक स्कूलों में पढ़ना अनिवार्य किया जाए। हाईकोर्ट ने अपने विस्तृत फैसले में प्राथमिक शिक्षा की बदहाली पर कड़ी टिप्पणियां की थीं। इस आदेश के परिप्रेक्ष्य में सरकार भी अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है।
इधर पाठक का कहना है कि कोर्ट के इस आदेश के बाद उन्ह बर्खास्त कर दिया गया है। उनके खिलाफ यह कार्रवाई सरकार की ओर से की गई है। बर्खास्तगी का कारण स्कूल में अनुपस्थित होना बताया गया है। कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए ही उन्होंने लिखित तौर पर अवकाश लिया था, लेकिन इसके बावजूद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।
शिव कुमार पाठक का कहना है कि, "यह मामला बेसिक शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी है। यदि मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं कोर्ट का दरवाजा खटखटाऊंगा।"
राजन एस कटोच क्या करेंगे, कहा नहीं जा सकता। संजीव भट्ट को अदालती कार्रवाई का खूब अनुभव है, शिव कुमार पाठक शिक्षक है और उसका काम है स्कूल और पाठ्यक्रम में एकरूपता रहे। समाजवादियों इसमें अफसरशाही दम्भ के अलावा कुछ भी गलत नहीं है। लोहिया को पढ़ लें फिर से।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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