भोपाल। गोविंदपुरा पुलिस ने एक कमाल कर दिखाया है। 2 जून 2014 को पुलिस को एक लावारिस बालक मिला, पुलिस ने उसे अपनी निगरानी में बालगृह भेजा और ठीक 7 दिन बाद पुलिस ने उसी बालक को किडनेप मानकर एफआईआर दर्ज कर ली। एफआईआर में बालक का फोटो भी लगाया लेकिन पुलिसवालों को ध्यान नहीं आया कि यह बालक तो हमारी ही निगरानी में है। पूरे 14 महीने गुजर गए और पुलिस तलाश ही करती रही।
उम्मीद बाल गृह में रह रहे बच्चे की इस कहानी ने भोपाल पुलिस, महिला सशक्तिकरण, विशेष किशोर पुलिस इकाई और मिसिंग चाइल्ड ट्रेकिंग पोर्टल की हकीकत बयान कर दी है। मामला गोविंदपुरा थाने का है। गोविंदपुरा पुलिस को 2 जून 2014 को विनय लावारिस मिला था। उसे अयोध्या नगर स्थित उम्मीद बाल गृह भेज दिया। बच्चे ने तब पुलिस को बताया था कि वह छिंदवाड़ा में रहता है और पिता का नाम दीपक है। दरअसल, विनय घर से भाग आया था। इसलिए गलत बताया था। इसके सात दिन बाद 9 जून 2014 को अन्ना नगर निवासी विपदलाल कायदा ने गोविंदपुरा थाने में बेटे विनय के गुम होने की शिकायत की और फोटो भी दी। चाइल्ड लाइन की डायरेक्टर अर्चना सहाय ने बताया यह बच्चा पुलिस ने सौंपा था। उसने अपना नाम विनय पिता का नाम दीपक बताया था। उन्होंने 10 जून 2014 को ही मिसिंग चाइल्ड ट्रैकिंग पोर्टल पर बच्चे का हुलिया, उसका फोटो, उसके संबंध में सारी जानकारी अपलोड कर दी थी।