भोपाल। मप्र के दमोह के माथे पर सबसे गंदे शहर का कलंक तो लग गया, पता नहीं कब तक जाकर धुलेगा परंतु आइए मिलते हैं इस शहर के माईबाप से, दमोह जिनके वर्षों से पग पखारता आ रहा है। जब दमोह के विकास का श्रेय इन्हे जाता है तो इस नए कलंक का कारण भी इन्हे ही माना जाना चाहिए।
7 बार से विधायक, 3 बार से मंत्री
2003 से प्रदेश सरकार में मंत्री। विभाग भी दमदार, वित्त, वाणिज्यिककर और जल संसाधन। सात बार से विधायक। पिता उद्योग पति रहे। तेल की मिल थी। जयंत मलैया जबलपुर में रहते थे। राजनीति शुरू की तो दमोह का रुख किया। लगातार जीत रहे हैं। मलैया इस मामले में तल्ख प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं, लेकिन इतना जरूर कहा कि दमोह काफी बदल गया है। मुझे गर्व है। चौराहे, सड़कें, अस्पताल और स्कूल सब हैं। ये सर्वे कैसे आया और किसने किया है, इस बारे में केंद्र को पत्र लिखेंगे।
भाजपा का गढ़ है यह शहर
वर्तमान सांसद प्रहलाद पटेल पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं। वर्ष 1989 से संसदीय सीट पर भाजपा का ही कब्जा है। पूर्व मंत्री मुकेश नायक का घर भी दमोह में है। शहर ने इनके सम्मान में एक पूरी कॉलोनी ही इनके नाम पर की है ‘मुकेश नायक कॉलोनी’। इन दिग्गजों के लिए दमोह राजनीतिक लांच पैड ही रहा। कामयाबी की ऊंची उड़ानें कई नेताओं ने भरीं। मगर दमोह की दर्दनाक और शर्मनाक तस्वीर इस सर्वे से देश के सामने आई।