गुना। राजस्थान हाईकोर्ट ने जैन समाज की संथारा प्रथा को अपराध घोषित किया और इसी के दूसरे दिन गुना में एक वृद्धा ने सल्लेखना प्रथा से मंगलवार को अपनी देह का त्याग कर दिया। हाईकोर्ट के आदेश से बेपरवाह जैन समाज ने उत्सव की तरह अंतिम यात्रा निकाली। इसमें आर्यिका अनंतमति एवं 19 जैन साध्वियों सहित बड़ी संख्या में समाज के लोग शामिल हुए।
जयपुर हाईकोर्ट ने सोमवार को ही संथारा (संल्लेखना) को अपराध माना है। हालांकि इस मामले में पुलिस और प्रशासन ने किसी भी तरह की जानकारी होने से इंकार किया है। जैन समाज के शहर अध्यक्ष सदर बाजार निवासी अनिल जैन की मां श्रीमती बाई पत्नी नेमीचंद जैन ने सल्लेखना (संथारा) की इच्छा जताई थी।
इसके लिए 8 दिन पहले अपना घर छोड़कर वे चौधरी मोहल्ला स्थित संत निवास पहुंच गईं थी। यहां उन्होंने एक दिन के बाद भोजन भी पूरी तरह से त्याग दिया था। मंगलवार दोपहर 12.10 बजे उन्होंने अपनी देह त्याग दी। श्रीमती बाई की अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग शामिल हुए और उनकी मौत को धार्मिक उत्सव की तरह मनाया गया। जगह-जगह आरती उतारी गई।
शहर आई आर्यिका अनंतमति सहित 19 जैन साध्वी भी उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुईं। इसमें समाज की महिलाएं, बुजुर्ग एवं बच्चे भी शामिल हुए। इसके बाद सभी की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। ।
प्रशासन ने कहा नहीं है जानकारी
सल्लेखना (संथारा) के माध्यम से देह त्यागे जाने के ऐसे किसी मामले की जानकारी नहीं है। यदि सल्लेखना की गई है तो मामले की जांच कराई जाएगी।
सत्येंद सिंह तोमर, एएसपी गुना