AIPMT: बेटी को टॉप कराने में माँ का सबकुछ बिक गया

धार। AIPMT में रिजर्व कोर्ट में मप्र से 7वीं रैंक हासिल करने वाली कमला जमरा को यहां तक पहुंचाने में उसकी मां को क्या कुछ नहीं करना पड़ा। मां ने 3 प्रतिशत ब्याज पर पैसे लेकर बेटी को पढ़ाया। बेटी तो टॉपर की लिस्ट में आ गई लेकिन मां 80 हजार रुपए के कर्जे में है। यह भी बता दें कि खेती से मां की वार्षिक आय 6000 रुपए महीने मात्र है। वो मजदूरी करके गुजर बसर कर रही है। बेटी की सफलता के लिए मां का संघर्ष यहीं खत्म नहीं होता। अब कॉलेज की फीस के लिए 48 हजार रु. जमा करना है।

तीन बेटियों की मां सेलकुबाई ने बड़ी बेटी कमला के टैलेंट को देखते हुए उसे शुरुआत से ही गांव के प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया। 9वीं में धार के उत्कृष्ट विद्यालय में सिलेक्शन हो गया। होस्टल में रहते हुए उसने पढ़ाई की। यहां कमला ने 12वीं में स्कूल में टॉप किया। इसके बाद जब डॉक्टर बनने की इच्छा से कमला इंदौर गई तो पीएमटी के पहले अटेंप्ट में पैटर्न समझ नहीं आने से सफल नहीं हो सकी।

निराशा छा गई, मां की स्थिति को देखते हुए एक बार तो वापस गांव आने का मन बना लिया लेकिन मां ने हौंसला बढ़ाया। ड्रॉप लेकर इंदौर में ही एक साल पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित किया। इंदौर में कोचिंग की फीस सालभर की 70 हजार रु. थी। कमला के पुराने रिजल्ट देख कोचिंग संचालक ने फीस घटाकर 30 हजार रु. कर दी। मां ने पैसे जुटाए और फीस भरी। इसके अलावा होस्टल का खर्च हर महीने 3500 रु. के आसपास आया।

सेलकुबाई ने बताया एक बीघा जमीन पर सिंचाई साधन नहीं होने से साल में मुश्किल से दो क्विंटल सोयाबीन होती है, जिससे 6 हजार रु. से ज्यादा नहीं आते। इसके चलते गांव में 100 रु. रोज पर मजदूरी करती हूं। कमला की कोचिंग फीस व होस्टल खर्च के लिए भाई समेत रिश्तेदारों ने पैसे दिए। कुछ रु. महाजन से तीन प्रतिशत ब्याज दर पर उठाया। अब तक 80 हजार रु. का कर्ज हो गया है।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!