नई दिल्ली। सरकार मैटरनिटी बेनेफिट ऐक्ट 1961 के तहत मैटरनिटी लीव की अवधि सीमा को बढ़ाकर 12 हफ्ते से 24 हफ्ते करना चाहती है। संसद में यह जानकारी दी गई।
श्रम मंत्री बंदारु दत्तात्रेय ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया, 'मैटरनिटी बेनेफिट ऐक्ट, 1961 के तहत मौजूदा मैटरनिटी लीव को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते करने पर गौर किया जा रहा है।
वर्तमान कानून की धारा 5(3) में के प्रावधान के मुताबिक एक कामकाजी महिला को 12 हफ्ते की मैटरनिटी लीव का अधिकार है जिसमें से छह हफ्ते छुट्टी डिलिवरी की अपेक्षित तारीख से पहले मिलेगी। मंत्री ने यह भी बताया कि बोनस को दोगुना करने और नौकरियों के बीच ग्रैच्यूटी को पोर्टेबल बनाए जाने से संबंधित किसी प्रस्ताव पर गौर नहीं किया जा रहा है।
पेमेंट ऑफ बोनस ऐक्ट, 1965 में प्रावधान है कि 20 या उससे ज्यादा एंप्लॉयी वाले प्रतिष्ठान लाभ होने पर कर्मचारियों को बोनस देंगे। इसके अलावा बोनस देने के कई और फैक्टर भी हैं। इस कानून की धारा 10 के तहत इंडस्ट्री और प्रतिष्ठानों द्वारा कम से कम 8.33 फीसदी बोनस दिए जाने का प्रावधन है।
इस कानून की धारा 31ए के तहत किसी कर्मचारी को प्रॉडक्टिविटी से जुड़े बोनस समेत अधिकतम बोनस किसी एक वित्त वर्ष में 20 फीसदी से ज्यादा नहीं दिया जा सकता है। मौजूदा कानून के मुताबिक किसी इंडस्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों का वेतन यदि 10,000 रुपये महीने से अधिक नहीं है तो वे बोनस पाने के हकदार हैं।