प्रभु मिश्रा/भोपाल। प्रदेशभर के भाजपा नेताओं को इस समय निगम मंडल में नियुक्तियों की उम्मीद बंधी है, लेकिन भोपाल के नेता सर्वाधिक प्रॉयरिटी बीडीए को दे रहे हैं। इसकी वजह यह है कि बीडीए (भोपाल विकास प्राधिकरण) से निकलकर अधिकांश नेता विधायक बने।
जो नेता निगम मंडल या आयोगों से नवाजे गए वे इसके बाद घर ही बैठ गए। इस मामले में कुछ नेता ही अपवाद हैं। यही कारण है कि नेताओं की मंशा है कि वे बीडीए चेयरमैन बनें। इन सबने निगम मंडलों को सेकंड केटेगरी में रखा है।
बत्ती मिली, टिकिट नहीं मिला
रमेश शर्मा गुट्टू : उत्तर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। बाद में नागरिक आपूर्ति निगम के चेयरमेन बने। बत्ती मिली तो फिर टिकट नहीं मिला।
श्रीमती ऊषा चतुर्वेदी : यह समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष बनाई गर्इं। उम्मीद थी कि आगे चलकर पार्टी टिकट देगी पर ऐसा नहीं हुआ। फिलहाल घर पर ही हैं।
सुशील वासवानी: बैरागढ़ के सिंधी नेता हैं। आवास संघ के अध्यक्ष रहे। उम्मीद थी कि टिकट मिलेगा, पर नहीं मिला।
शैतान सिंह पाल : इन्हें कुक्कुट विकास निगम अध्यक्ष का पद मिला। दो बार नवाजा गया। पर अब घर पर ही हैं।
ओम यादव : नगर निगम में उपाध्यक्ष रहे। खेल विकास प्राधिकरण में लाल बत्ती मिली पर विधायकी का सपना अधूरा रहा।
बीडीए से बने विधायक
सुरेन्द्र नाथ सिंह: बीजेपी संगठन में कई पदों पर रहे। बाद में पार्टी जिलाध्यक्ष बने। तत्पश्चात बीडीए के चेयरमेन बने। इसके बाद मध्य क्षेत्र से भाजपा ने विधायक का टिकट दिया और इसके बाद विधायक बन गये।
विष्णु खत्री: आरएसएस से जुड़कर काम किया। भाजपा संगठन में भी जुड़े रहे। इसके बाद बीडीए में उपाध्यक्ष बनाये गये। अब बैरसिया क्षेत्र से विधायक हैं। इस तरह इनके लिए बीडीए लकी साबित हुआ।
ध्रुवनारायण सिंह: बीडीए में चेयरमेन नियुक्त किये गये। इसके बाद मध्य क्षेत्र से विधायक बने। इस बीच पर्यटन निगम भी पहुंचे। इसके बाद इस बार इन्हें टिकट नहीं मिला। अब नई उम्मीद में हैं।
पीसी शर्मा: यह कांग्रेस में कई पदों पर रहे। लेकिन किस्मत ने पलटा बीडीए कनेक्शन के बाद मारा। बीडीए अध्यक्ष बनने के बाद यह विधायक बने। इसके बाद अब जिला कांग्रेस के अध्यक्ष हैं।
इनके सपने भी रह गये अधूरे
इसके साथ ही ऐसे कई नाम हैं, जिन्हें सरकार ने लाल बत्ती दी। पर एक तरह से पॉलिटिक्स से कट हो गये। हालांकि, कुछ समय पर सरकारी सुख जरूर भोगा। इसमें सरिता देशपांडे, सलीम कुरैशी, राशिद भाई सहित कई नेता शामिल हैं। इनमें कुछ ऐसे हैं, जिन्हें कभी महिला तो कभी अल्पसंख्यक होने के कारण विधायक के टिकट की उम्मीद थी, पर यह कभी पूरी नहीं हुई और न ही अब उम्मीद है कि कभी पूरी होगी।
- श्री प्रभु मिश्रा प्रदेश टुडे भोपाल में सेवाएं दे रहे हैं।