भोपाल। एक बार फिर साबित हो गया कि शिक्षा की दुकानें लम्बी नहीं चलतीं। इंजीनियरिंग के नाम पर मप्र में चल रहा गोखरधंधा अब बंद होने की कगार पर आ गया है। कुल 90 हजार खाली सीटों में से 50 प्रतिशत सीटें नहीं भर पाईं। मात्र 35 हजार एडमिशन हुए हैं, लाख उठापटक के बावजूद 14 अगस्त तक 10 हजार एडमिशन और होने की उम्मीद है।
पॉलीटेक्निक कॉलेजों की स्थिति खराब
मप्र में पॉलीटेक्निक कॉलेजों में संचालित डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की स्थिति इस बार बेहद खराब हो गई है। यह पहला मौका है, जब पॉलीटेक्निक कॉलेजों की स्थिति भी इंजीनियरिंग जैसी हो गई है। इसकी वजह निजी पॉलीटेक्निक कॉलेजों की संख्या अधिक होना बताया जा रहा है। पॉलीटेक्निक कॉलेजों में 25 हजार से अधिक सीटें हैं और एडमिशन अब तक सिर्फ 7 हजार हुए हैं। ऐसे में पॉलीटेक्निक कॉलेजों की 15 हजार से अधिक सीटें खाली रहेंगी।
