इंदौर। आप इसे मप्र शिक्षा जगत में क्रांतिकारी बदलाव कह सकते हैं। पिछले साल से जिन डिग्री कोर्सों में एडमिशन के लिए डोनेशन और सिफारिशें आतीं थीं, इस बार छात्रों ने अप्लाई तक नहीं किया। टॉप-14 कोर्सों की सीटें भी फुल नहीं हो पाईं।
हर बार की तरह इस बार भी एडमिशन की तारीख कई बार बढ़ाई गई। इसके बावजूद सीटें फुल नहीं हुईं। सिर्फ इंजीनियरिंग, एमबीए ही नहीं एमसीए, फॉर्मेसी जैसे कोर्सों की हालत भी खराब है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले सालों में बड़ी संख्या में कॉलेजों को शुरू होने की अनुमति दी गई जिस कारण सीटें बढ़ गईं और शिक्षा की गुणवत्ता गिर गई इसी कारण ऐसी परिस्थितियां बन रही है।
इन कोर्सों में इतने फीसदी भर पाईं सीटें
बीई 52
डिप्लोमा पीपीटी 87.41
एमबीए 83.19
फॉर्मेसी बीडी 95.43
बी आर्किट्रैक्चर 90.57
बी होटल मैनेजमेंट 79
ड्यूल डिग्री एमसीए 73.33
ड्यूल डिग्री एमएएम 55
एमसीए 9.43
एमसीए लेटरल 44.02
डिप्लोमा नॉन पीपीटी 76.19
डिप्लोमा एकलव्य, डॉ. आंबेडकर स्कीम 99.58
एमटेक 71.91
एम फॉर्मेसी 52.37
डिप्लोमा में बढ़ा रुझान
मैकेनिकल, प्रोडक्शन, इलेक्ट्रिकल, सिविल के डिप्लोमा कोर्स में विद्यार्थियों का जबरदस्त रिस्पॉनस मिला है। कंपनियां बड़ी संख्या में डिप्लोमा कोर्स वाले विद्यार्थियों को रिक्रूट कर रही हैं, क्योंकि इन्हें वेतन भी कम देना होता है और इनमें एक ही कंपनी में काम करने की स्थिरता भी ज्यादा होती है।