नई दिल्ली। हिन्दुत्व, गाय, स्वदेशी और शाकाहार के मूलमंत्र को लेकर काम करने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अब अपने ही दिग्गज प्रचारकों के मांस प्रेम के खुलासे पर उलझ गया है। खुलासा भी ऐसे व्यक्ति ने किया जिसे डिनॉय नहीं किया जा सकता।
संघ पर रिसर्च करने वाले दिलीप देवधर ने दावा किया है कि 6 साल पहले सरसंघचालक बनने तक मोहन भागवत खुद नॉन-वेज फूड (मांसाहार) का लुत्फ लिया करते थे। उन्होंने कहा, ''मैंने संघ के बालासाहब देवरस को भी आरएसएस चीफ बनने तक चिकन और मटन पब्लिक प्लेस पर खाते देखा है। संघ के कई प्रचारक नॉन-वेज फूड खाते हैं।''
बता दें कि यह दावा करने वाले देवधर संघ पर 42 बुक लिख चुके हैं। दूसरी ओर आरएसएस नेता एम. जी. वैद्य ने माना है कि संघ में नॉन-वेज खाने पर कोई रोक नहीं है। उन्होंने कहा, ''संघ प्रचारक नॉन-वेज खाते हैं तो क्या वे भारतीय नहीं हैं।''
क्या है मामला?
गौरतलब है कि संघ के मुखपत्र (माउथपीस) 'ऑर्गनाइजर' में कुछ दिन पहले एक आर्टिकल में आईआईटी रुड़की की कैंटीन में नॉन-वेज फूड परोसने को 'हिंदू विरोधी' बताया था। इसके बाद विवाद शुरू हुआ कि क्या संघ से नेता खुद नॉन-वेज के शौकीन नहीं रहे हैं? देश के आईआईटी और आईआईएम में नॉन-वेज परोसने पर अब संघ भी उलझन में फंस गया है।
क्या है ऑर्गनाइजर की सफाई?
ऑर्गनाइजर के एडिटर प्रफुल्ल केतकर ने कहा, 'हमारी मैगजीन संघ का माउथपीस नहीं है। यह आरएसएस से प्रेरणा लेने वाला एक पब्लिकेशन है। हमने कई बार संघ और बीजेपी की विचारधारा के खिलाफ भी लिखा है। नॉन-वेज पर छपा आर्टिकल संदीप सिंह ने लिखा था, जो आईआईटी से जुड़े रहे हैं। यह हमारा संपादकीय नहीं था। हम लेखक के विचारों के साथ नहीं हैं।' केतकर ने माना कि सिंह के लेख पर आरएसएस के कई लोगों ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि हम अगले अंक में उनके विचार भी पब्लिश करेंगे।
सिर्फ संघ के प्रोग्राम में नॉन-वेज पर रोक
संघ पर रिसर्च करने वाले देवधर ने कहा, ''आरएसएस ने कभी मीट या नॉन-वेज फूड पर बैन की बात नहीं कही और न ही कोई रोक लगाई है। हालांकि मुख्यालय में या संघ के प्रोग्राम में कोई नॉन-वेज नहीं खा सकता है। इसके अलावा संघ से जुड़ा कोई भी आदमी अपनी पसंद के रेस्तरां या घर पर नॉन-वेज खा सकता है। नॉन-वेज फूड में मछली, चिकन और मटन से संघ को कोई दिक्कत नहीं है, विरोध सिर्फ बीफ का है।''