भोपाल। विधानसभा में कांग्रेस के विधायक व्यापमं को लेकर शोर मचाते रह गए और शिवराज सरकार मप्र तंग करने वाली मुकदमेबाजी (निवारण) विधेयक-2015 पारित कराकर ले गई। कांग्रेस ने सदन में इसका कोई विरोध नहीं किया, कोई बहस नहीं हुई। अब जनता के बीच आकर कांग्रेस ने सांप निकल जाने के बाद लकीर पीटना शुरू कर दिया।
MP disturbing Litigation (Prevention) Bill -2015 के संदर्भ में कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा को आगे किया गया है। नेताप्रतिपक्ष या दूसरा कोई दिग्गज जनप्रतिनिधि सामने नहीं आया। विरोध की औपचारिकता पूरी करते हुए कांग्रेस के मिश्रा ने अपने बयान में लिखा है कि
आज विधानसभा में पारित मप्र तंग करने वाली मुकदमेबाजी (निवारण) विधेयक-2015 को आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी सरकार और उसके मंत्रियों को भ्रष्टाचार करने का लायसेंस देने वाला विधेयक है। इस विधेयक का उपयोग राज्य सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों और व्हिसल ब्लोअर के खिलाफ करेगी।
राज्य सरकार एक ओर भ्रष्टाचार को लेकर ‘‘जीरो टालरेंस’’ की झूठी दुहाई दे रही है, भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुप्रचारित ‘‘विशेष न्यायालय अधिनियम-2011’’ विधानसभा में पारित करवाती है, वहीं 12 अक्टॅूबर-2012 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (1988 का 49) के अधीन अपराध में कर्मचारियों, भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा तथा भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के अपराधों के संबंध में उनके यहां पड़ने वाले सीबीआई छापों के लिए राज्य सरकार की अनुमति लिये जाने हेतु गजट नोटिफिकेशन जारी करवाती है, यह भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष का कौन सा और कैसा चरित्र है।
आज पारित यह विधेयक प्रदेश में भ्रष्टाचार की जड़े मजबूत करेगा। यह विधेयक भ्रष्टाचार को लेकर राज्य सरकार की राजनैतिक बेशर्मी की पराकाष्ठा है, कांग्रेस उचित फोरमों पर इसका कड़ा विरोध करेगी।
ये उचित फोरम कौन से हैं, कब क्या होगा इसकी कोई योजना मिश्राजी के पास भी नहीं है। बस एक औपचारिक विरोध दर्ज कराया जाना था, सो करा दिया गया।
यहां बता दें कि कांग्रेस के पास मंगलवार को ही इस संदर्भ में सूचना आ गई थी। मीडिया के बीच भी यह लीक हो गया था कि बुधवार को कांग्रेस हंगामा करेगी, इस बीच सारे विधायक और पूरक बजट पारित किया जाएगा और सदन अनिश्चितकाल के लिए भंग कर दिया जाएगा।
सवाल यह है कि क्या कांग्रेस भी इस मैच में फिक्स थी।