जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पब्लिक प्रोसीक्यूटर की नियुक्ति के मामले में समुचित गंभीरता न बरते जाने के रवैये को आड़े हाथों लिया। इसी के साथ केन्द्र शासन पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगा दिया गया। जिसके साथ जवाब पेश करने के लिए 4 सप्ताह की अंतिम मोहलत दे दी गई।
प्रशासनिक न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व जस्टिस सुशील कुमार गुप्ता की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता फोरम फॉर ट्रेफिक सेफ्टी एंड एनवायरमेंट सेनीटेशन के चेयरमैन ज्ञानप्रकाश ने अपना पक्ष स्वयं रखा। जबकि राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता केएस वाधवा खड़े हुए।
क्रिमनल केसेस के लिए जरूरी पब्लिक प्रोसीक्यूटर
ज्ञानप्रकाश ने दलील दी कि हाईकोर्ट में विचाराधीन क्रिमनल केसेस में शासन की ओर से पक्ष रखने के लिए नियमानुसार पब्लिक प्रोसीक्यूटर होना चाहिए। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में पब्लिक प्रोसीक्यूटर के अभाव में महाधिवक्ता कार्यालय के राज्य के वकील पैरवी करने खड़े हो जाते हैं। वैधानिक दृष्टि से यह उचित नहीं है।