उत्तर प्रदेश में अमिताभ ठाकुर की दो बड़ी पहचान हैं. एक तो वो पुलिस महकमें के आईजी जैसे बड़े पद पर हैं तो दूसरी तरफ वो आरटीआई कार्यकर्ता भी हैं. डबल रोल वाला ये आईपीएस अधिकारी 23 साल के करियर में 30 तबादले भी देख चुका है।
अमिताभ ठाकुर को ये भी पसंद नहीं है कि पुलिस वाले मंत्रियों को गॉर्ड ऑफ ऑनर दें। उन्होंने यूपी के मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखकर ये कहा था कि पुलिस वालों को क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले मंत्रियों को गॉर्ड ऑफ ऑनर देने की प्रथा बंद कर दी जाए।
ऐसे ही दिलचस्प किस्सों से बनती है इन दिनों यूपी के चर्चित आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की कहानी। अमिताभ ठाकुर को अपने आस पास होने वाली किसी भी गलत बात पर गुस्सा आता है और इस गुस्से को वो अदालती और सामाजिक लड़ाई में बदल देते हैं. आई हेट गांधी नाम के फेसबुक पेज पर गांधी जी के खिलाफ होने वाली टिप्पणियों के बाद अगर फेसबुक ने हटा दिया तो इसके पीछे भी अमिताभ ठाकुर ही थे.
47 साल के अमिताभ का जन्म बोकारो में हुआ था जो उस वक्त बिहार का हिस्सा था. केंद्रीय विद्यालय से पढ़ाई पुरी करने के बाद अमिताभ ने आईआईटी कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और इसके बाद वो 1992 में आईपीएस में चुने गए.
आईपीएस बनने के बाद उन्हें कप्तान के तौर पर यूपी के 7 जिलों में काम करने का मौका मिला. वो बस्ती, देवरिया, बलिया, महाराजगंज, गोंडा, ललितपुर और फिरोजाबाद में तैनात रहे.
अमिताभ नेशनल आरटीआई फोरम नाम से एक संस्था चलाते हैं जिसमें देश भर के करीब 150 आरटीआई कार्यकर्ता शामिल हैं. अपनी इस संस्था की ओर से वो करीब 500 आरटीआई आवेदन और 150 जनहित याचिकाएं दायर कर चुके हैं. इसके अलावा अमिताभ मानवाधिकार कार्यकर्ता भी हैं. ये काम वो आईआरडीएस यानी इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एंड डाक्यूमेंटेशन इन सोशल साइंसेज के जरिए कर रहे हैं.