न्यूयॉर्क। भारतीय मूल के एक अमेरिकी ने पूरे अमेरिका को हिलाकर रख दिया। वो अमेरिका में फर्जी एफबीआई चला रहा था और व्यापारियों को डरा धमकाकर रिश्वत वसूला करता था। अमेरिकी व्यापारियों को धमकाने के लिए उसने इंडिया में एक कॉल सेंटर भी बनाया था, जिसके कर्मचारी अमेरिकी व्यापारियों को एफबीआई के नाम से फोन करते और गिरफ्तारी कर डर दिखाते।
भारत के कॉल सेंटरों के जरिए जबरन वसूली का एक बड़ा तंत्र चलाने वाले भारतीय मूल के एक अमेरिकी को 14 साल से अधिक समय के लिए कैद की सजा सुनाई गई है। उस पर दस लाख अमेरिकी डॉलर का जुर्माना भी लगाया गया है।
पेनसिल्वेनिया के साहिल पटेल (36) को साढ़े चौदह साल की कैद काटने के बाद रिहा होने पर तीन साल तक निगरानी में रखे जाने का भी फैसला सुनाया गया। पटेल ने भारत में स्थित विभिन्न 'कॉल सेंटरों' के जरिए धोखाधड़ी और जबरन वसूली में अपनी भूमिका जनवरी 2015 में ही कबूल कर ली थी।
इन कॉल सेंटरों के जरिए वह और उसके साथी खुद को एफबीआई और इंटरनल रेवेन्यू सर्विस का अधिकारी बताते थे और फिर पीड़ितों को गिरफ्तारी या अर्थदंड की धमकियां देते थे। ये उन पीडितों को कहते थे कि यदि वे इन आरोपों से बचना चाहते हैं तो इन्हें पैसे दें। पटेल और उसके साथी साजिशकर्ता अपने ठिकाने और वसूली गई रकम को छिपाने के लिए कई चरणों में इलेक्ट्रॉनिक तरीके से पैसा ट्रांसफर करते थे। यह राशि कम से कम 12 लाख डॉलर की थी।
बुधवार को फैसला सुनाते हुए अमेरिकी जिला जज ने कहा कि दूसरों को ऐसे अपराध से रोकने के लिए जरूरी है कि 'बहुत कड़ा फैसला' सुनाया जाए। अभियोग के अनुसार, दिसंबर 2011 से दिसंबर 2013 में गिरफ्तार होने तक पटेल सैकड़ों बेकसूर लोगों को जाल में फांसता रहा। इसके लिए उसने भारत में टेलिफोन कॉल सेंटरों में अंग्रेजी बोलने वाले कर्मचारियों को नियुक्त किया, जो अमेरिका में रहने वाले लोगों को फोन कॉल करते थे। पटेल और उसके साथी उन लोगों की सूची 'लेड शीट्स' कॉलर्स को देते थे, जिन्हें फोन किया जाना होता था। भारत में बैठे कॉलर इन लोगों को हजारों कॉल करते थे और उन्हें पैसे के लिए धमकाते थे।