सरला मिश्रा हत्याकांड: दिग्विजय सिंह को बचाते क्यों रहे शिवराज

भोपाल। राजधानी की हवाओं में एक बार फिर सरला मिश्रा हत्याकांड गूंज उठा। यह उस समय का घटनाक्रम है जब मप्र में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी और दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे। भाजपा ने फिर से वही मुद्दा उठाया है परंतु ध्यान से देखें तो इस मामले में भाजपा ने ही दिग्विजय सिंह को बचाया भी है।

होशंगाबाद की रहने वाली सरला मिश्रा कांग्रेस की तेज-तर्रार उच्च शिक्षा प्राप्त कांग्रेस नेत्री रही हैं। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. अश्वनी कुमार मिश्रा की बेटी थीं। 14 फरवरी 1997 को भोपाल में उन्हें जला कर मार डालने का प्रयास किया गया। उनकी मौत सफदरगंज अस्पताल, नई दिल्ली में 19 फरवरी को हो गई।

भाजपा ने प्रदेश विधानसभा में दस दिन तक हंगामा किया। अंतत: तत्कालीन गृहमंत्री चरणदास महंत ने 27 फरवरी 1997 को प्रदेश विधानसभा में जारी वक्तव्य में सीबीआई को जांच सौंपने की घोषणा की। लेकिन इस जांच के लिए कभी नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया। भाजपा ने भी कोई विरोध नहीं किया। इस मामले में दिग्विजय सिंह एवं उनके भाई लक्ष्मण सिंह पर आरोप लगते रहे थे। भाजपा के पास अच्छा मौका था लेकिन उसने उपयोग नहीं किया।

मप्र में भाजपा सत्ता में आई। सरलामिश्रा हत्याकांड की सीबीआई जांच कराने के लिए फिर से आवाजें उठीं लेकिन भाजपा सरकार ने रुका हुआ नोटिफिकेशन जारी नहीं किया। अब एक बार फिर भाजपा विधायक विश्वास सारंग ने सरला मिश्रा हत्याकांड की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।

सवाल सिर्फ इतना सा है कि जब पिछले 10 साल से ज्यादा वक्त से भाजपा सत्ता में है तो उसने अब तक दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में हुए उन मामलों की जांच क्यों नहीं कराई जिनके खिलाफ वो सदन में आवाज उठाती रही थी। क्या फिक्सिंग है दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह के बीच, जो दिग्विजय सिंह के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। बयानों में तो दोनों एक दूसरे के शत्रू प्रतीत होते हैं परंतु कागजों में काफी घनिष्ठ मित्रता नजर आती है।

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