इंदौर-भोपाल | प्रॉपर्टी निवेश से बाहर निकलने का लास्ट चांस

यदि आपने इंदौर भोपाल जैसे शहरों में प्रॉपर्टी में निवेश किया है तो यह निवेश से बाहर निकलने का लास्ट चांस है। इसके बाद प्रॉपर्टी के वो दाम अगले 2 साल तक नहीं मिलेंगे, जिसकी आप उम्मीद करते हैं। इन शहरों में प्रॉपर्टी में चमत्कार होना तो बंद ही हो गया है। 3 साल क्या 6 साल में भी दोगुना होते नहीं दिखाई दे रहा है। आने वाला समय थोड़ा और संकट भरा हो सकता है।

वर्ष 2008 के ग्लोबल वित्तीय संकट अथवा मंदी से पहले रीयल एस्टेट निवेशकों को उन संपत्तियों पर भी भारी मुनाफा हुआ था, जो उन्होंने कुछ महीने पहले ही खरीद थीं लेकिन मंदी के दौरान प्रॉपर्टी बाजार में भी गिरावट आ गई और रीयल एस्टेट का कोई खरीदार नहीं रह रह गया। यह एक अस्वाभाविक स्थिति थी।

विशेषज्ञों का मानना है कि सामान्य बाजार स्थितियों में, प्रॉपर्टी की दरें ठोस और स्थिर ढंग से बढ़ती हैं। उनमें अचानक धुआंधार बढ़ोतरी या भयंकर गिरावट नहीं होती, लेकिन जिन बाजारों में पिछले 5 सालों में अच्छी बढ़त दर्ज की गई है, या चमत्कारिक परिणाम आए थे, वहां अब ग्राफ तेजी से नीचे जाएगा और मार्केट सेट करेगा।

निवेशकों के प्रकार
प्रॉपर्टी के निवेशक दो प्रकार के होते हैं। एक वे जिन्हें नियमित किराया आय चाहिए और जो प्रॉपर्टी को बेचना नहीं चाहते। दूसरे निवेशक वे होते हैं जिन्हें पूंजी वृद्धि चाहिए। इन दूसरे किस्म के निवेशकों को अच्छे मुनाफे के लिए प्रॉपर्टी बेचने के सही समय का इंतजार करना होता है। क्योंकि प्रॉपर्टी को बेचने का असली मजा तब है, जब बाजार में उसके अच्छे दाम मिल रहे हों। सवाल है कि यह अच्छा समय कब आता है? और किस समय को सबसे अच्छा माना जाना चाहिए?

निवेश बनाए रखने की सही अवधि
इस विषय पर लगातार बहस होती रहती है। इसे लेकर विशेषज्ञों के अलग-अलग मत हैं, मगर इस पर लगभग सभी सहमत हैं कि सामान्य बाजार दशाओं में रीयल एस्टेट मार्केट में दीर्घकालिक निवेश करना बेहतर रहता है। रीयल एस्टेट क्षेत्र की भाषा और शब्दावली में इसका मतलब लगभग तीन वर्ष की अवधि के निवेश से है। हालांकि आदर्श अवधि 3-5 वर्ष की मानी जाती है। मगर देखने में आया है कि 5-7 वर्ष के निवेश से सबसे अच्छा रिटर्न प्राप्त होता है। इसलिए जहां तक संभव हो रुकना चाहिए और इंतजार करते हुए बेहतर से बेहतर रिटर्न हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए। प्रॉपर्टी से बेहतर रिटर्न प्राप्त करने के लिए जल्दबाजी ठीक नहीं।

निकासी का आदर्श समय
रीयल एस्टेट निवेश से बाहर निकलने का एकदम उचित समय असल में बाजार के हालत की बजाय निवेशक की उम्मीदों पर निर्भर करता है। जहां तीन वर्ष बाद निवेश से बाहर निकलने से अच्छा रिटर्न सुनिश्चित होता है, वहीं उच्चतम रिटर्न के लिए निवेशक को और ज्यादा अवधि तक रुकना चाहिए। अधिक समय तक निवेश से अधिक फायदे का नियम प्रापर्टी बाजार पर भी लागू होता है।

अधिकतम पूंजी लाभ के लिए निवेशकों को पूरी हो चुकी परियोजनाओं के बजाय निर्माणाधीन आवासीय परियोजनाओं में निवेश करना चाहिए। ऐसी प्रॉपर्टी में निवेश का सबसे उपयुक्त समय परियोजना के लांच का होता है। इसके बाद जहां कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों को उस वक्त बाहर निकलना चाहिए, जब परियोजना पूर्ण होने के करीब होती है, या कम सब से कम तब, जब डेवलपर फ्लैट मालिकों को कब्जा देना शुरू करते हैं। जबकि कुछ अन्य विशेषज्ञ कब्जे के एक साल बाद निवेश से बाहर निकलने की सलाह देते हैं।

विकल्पों में से कौन सबसे सही है?
यह स्थानीय हालात जैसे कि मांग, आपूर्ति तथा क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की स्थिति वगैरह पर निर्भर करता है। इसलिए प्रॉपर्टी खरीदने अथवा बेचने का निर्णय लेने से पहले स्थानीय बाजार के मौजूदा हालात का विस्तृत अध्ययन कर लेना चाहिए। ऐसा करने से निवेश में नुकसान की संभावनाएं कम होती हैं। साथ ही, निवेश से अधिकतम रिटर्न प्राप्त होने के आसार बढ़ जाते हैं।
अनिल फरांडे
सीएमडी, फरांडे स्पेसेज
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