राकेश दुबे@प्रतिदिन। बच्चों में बढती शराब की लत के मामले सामने आने लगे है | केरल के एक मामले ने, कुछ चौकाने वाले आंकड़े दिए है। भारत में बनने वाली विदेशी शराब (आईएमएफएल) की देश भर में सबसे अधिक ब्रिकी अविभाजित आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में है। यह 21 प्रतिशत है। इसके बाद कर्नाटक का नंबर आता है, जहां इसकी बिक्री 18 प्रतिशत है। देश में ये चारों सूबे, यानी तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में ही आईएमएफएल की 60 प्रतिशत बिक्री होती है। देश में सबसे अधिक शराब केरल में पी जाती है। यहां इसकी प्रति व्यक्ति खपत सालाना 8.3 लीटर है, जबकि राष्ट्रीय औसत 5.7 लीटर है।
शराब की सबसे अधिक बिक्री के मामले में तमिलनाडु शीर्ष पर है, जबकि कर्नाटक ऐसा राज्य है, जहां के बच्चों में एल्कोहल की लत देश भर में सबसे ज्यादा है। ऐसी हालत के बावजूद राज्यों जिसमें मध्यप्रदेश शामिल है शराब की बिक्री के जरिए ज्यादा से ज्यादा राजस्व कमाने की होड़ मची है।
आंध्र प्रदेश में तो पिज्जा या बिरयानी की तरह शराब भी एक फोन कॉल पर उपलब्ध है, मध्यप्रदेश भी इस मामले में प्रगतिशील कहा जा सकता है। लाइसेंस फीस के तौर पर हरेक दुकान से कमाई तो होती ही, है और जहाँ सरकार ने इस कारोबार को अपने हाथों में लिया, तो साल में एक-एक दुकान से एक करोड़ रुपये से अधिक की कमाई हो रही है। राज्य सरकारे अब 35 रुपये में 180 मिलीलीटर की एक अलग श्रेणी की बोतल मुहैया कराना चाहती है। इस तरह से शराबखोरी को बढ़ावा देकर सरकारे यह उम्मीद पाल रही है कि उसकी राजस्व कमाई अधिक होगी।
तमिलनाडु और केरल शराब की बढ़ती मांग और सुगम आपूर्ति के मामले में देश के अग्रणी राज्य रहे हैं। चूंकि वहां शराब-बिक्री का धंधा सरकार के हाथों में है, इसलिए राज्य में इसकी सरकारी दुकानें आपको हर 100 मीटर पर मिल जाएंगी। राज्यों की कमाई में सबसे बड़ा हिस्सा शराब की ब्रिकी से होने वाली रकम का ही है। केरल के कुल राजस्व का पांचवां हिस्सा इसकी बदौलत आता है, तो तमिलनाडु में यह आंकड़ा चौथाई हिस्सेदारी का है। तमिलनाडु में शराब की दुकानों की संख्या 6,823 है, जबकि पुस्तकालयों की संख्या 4,028 है। मध्यप्रदेश का भी कुछ ऐसा ही चित्र है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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