भोपाल। कहते हैं हर शब्द का अर्थ होता है और जब एक विशिष्ठ व्यक्ति कुछ कहे तो उसके कई सारे अर्थ होते हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत ने शनिवार को भोपाल में जो कहा, उसके भी कई अर्थ निकाले जा रहे हैं।
पहले पढ़िए उन्होंने क्या कहा
सर्कस में हाथी-शेर के करतब पर लोग तालियां भले बजाएं, लेकिन यह देखकर अच्छा नहीं लगता। शेर का शेर होना ही उसकी उपलब्धि है, उसकी दहाड़ ही अच्छी लगती है।
अब अपने अपने अर्थ
सत्ता परस्त भाजपाईयों के अनुसार: जैसे पहले कांग्रेस पर हमला किया करते थे, अब भी वैसे ही हमले जारी रखें। सत्ता में आ गए इसलिए बचाव की मुद्रा में ना रहें।
मोहमुक्त स्वयं सेवकों के अनुसार: अपने मूल स्वभाव में रहें, जो गलत है उसका विरोध करें फिर चाहे सत्ता में भाजपा ही क्यों ना हो।
शिवराज के अलोचक: अपने आसपास जुटे चापलूस और भ्रष्ट लोगों के कॉकस से बाहर निकलें और अपने मूल स्वरूप में आएं। फिलहाल शिवराज सर्कस के शेर बने हुए हैं। कुछ लोगों का समूह उन्हे अपने इशारों पर नचा रहा है।
मोदी के आलोचक: हिन्दुत्व वाद के अपने मूल स्वभाव में रहें। हिन्दू हृदय सम्राट बने रहें, ईसाईयों को लुभाने के लिए हिन्दुओं के हृदय को चोट पहुंचाने वाले काम ना करें। कार्पोरेट लॉबी के झांसे में ना आएं।
आप क्या अर्थ निकालने हैं यह आप पर निर्भर करता है। सबको बताना है तो कमेंट बॉक्स में दर्ज करें।
