दिग्विजय सिंह के सर पर लटकी रहेगी जांच की तलवार

भोपाल। विधानसभा फर्जी भर्ती घोटाले में एसटीएफ ने चालान पेश कर दिया है परंतु इसमें दिग्विजय सिंह को आरोपी नहीं बनाया गया है। एसटीएफ ने कोर्ट को बताया है कि दिग्विजय सिंह समेत 18 आरोपियों के खिलाफ जांच जारी है। जो पूरक चालान में पेश की जाएगी। याद दिला दें कि इस मामले के दर्ज होने के बाद से दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ सीधे हमले बंद कर दिए हैं। वो शिवराज के खिलाफ औपचारिक बयानबाजी कर रहे हैं, जबकि इससे पूर्व वो सबूतों के साथ शिवराज को पब्लिक ट्रायल पर ले आए थे। 

विशेष न्यायाधीश काशीनाथ सिंह की अदालत में सोमवार को जहांगीराबाद पुलिस ने चालान में आरोपी विधानसभा के तत्कालीन अपर-सचिव सत्यनारायण शर्मा, तत्कालीन अवर सचिव कमलाकांत शर्मा और आभा चतुर्वेदी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, धोखाधड़ी, जालसाजी व षडयंत्र के तहत आरोप-पत्र पेश किया है।

चालान में पुलिस ने 59 गवाहों की सूची पेश की है। साथ ही 325 पेजों के चालान में नियुक्ति में हुई धांधली संबंधित दस्तावेज पेश किए गए हैं। कोर्ट ने मामले में आरोपी आभा चतुर्वेदी को 40 हजार रुपए की जमानत पर नियमित जमानत दे दी है, जबकि शेष आरोपी सत्यनारायण शर्मा और कमलाकांत शर्मा न्यायिक हिरासत में हैं। पुलिस ने मामले के शेष आरोपी तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी, तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित कुल 18 लोगों के खिलाफ जांच जारी होने का हवाला देते हुए पूरक चालान पेश करने को कहा है।

क्या है मामला
विधानसभा उप-सचिव एसएल मैथिल ने 27 फरवरी 2015 को जहांगीराबाद थाने में लिखित शिकायत कर आरोप लगाया था कि विधानसभा अध्यक्ष को निजी एवं तदर्थ एडहॉक अमले में नियुक्ति करने का विशेषाधिकार होता है। तत्कालीन विस अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी ने अपने कार्यकाल 1993 से 2003 के बीच नियम विरुद्ध नियुक्ति की थी।

इस कार्य में सत्यनारायण शर्मा, कमलाकांत शर्मा, आभा चतुर्वेदी, तत्कालीन अवर सचिव श्यामलाल चतुर्वेदी, तत्कालीन अपर सचिव रमेशचंद्र उपाध्याय ने मिलकर आपराधिक षडयंत्र किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपर-सचिव पद के लिए सत्यनारायण शर्मा के नियक्ति संबंधी दस्तावेजों की तस्दीक न करते हुए आदेश कर दिए थे।

पुलिस ने शिकायत के आधार पर तत्कालीन अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी, तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित 21 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सहित भादवि के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी व षडयंत्र के तहत अपराध पंजीबद्ध किया था।

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