नोटों पर सोता था सरगना: पूरे परिवार को डॉक्टर बनवा दिया

इंदौर। आपको जानकर हैरानी होगी कि व्यापमं के तहत मेडिकल कॉलेजों में फर्जी एडमिशन का गोरखधंधा बड़े पैमाने पर शुरू करने वाले डाॅक्टर जगदीश सागर ने अपने परिवार के 28 लोगों को इसी तरह डाॅक्टर बनाया, जिनमें उसकी पत्नी सुनीता भी शामिल है। बताया जाता है कि पिछले 15 साल में डॉ. सागर ने मध्य प्रदेश के मेडिकल कालेजों में एक हजार से भी ज़्यादा फर्जी एडमिशन करवाए। वो नोटों का बिस्तर बनाकर सोता था।

विदेशी बंदूक और शराब का शौकीन
क्राइम ब्रांच के तत्कालीन एडिशनल एसपी दिलीप सोनी के मुताबिक़ मूलरूप से ग्वालियर का रहने वाला डॉ. जगदीश सागर पहले तो खुद पैसा देकर डाॅक्टर बना और बाद में उसे ही अपना धंधा बना लिया। इंदौर पुलिस ने डाॅ.जगदीश सागर को जुलाई, 2013 में इसे गिरफ्तार किया था। सूत्रों के मुताबिक पूछताछ के बाद जब पुलिस उसके घर पहुंची तो वहां मिले महंगे सामान देख अफसर भी चौंक गए थे।

पुलिस के मुताबिक डॉ. सागर के घर से पुलिस को 13 लाख रुपए नकद मिले थे। रुपयों को उसने खास तरह से बनवाए गद्दे में छिपाकर रखे थे। सागर उसी गद्दे पर सोता था। एडिशनल एसपी दिलीप सोनी के मुताबिक इसने घर के हर कमरे में बॉयोमैट्रिक लॉक लगवा रखा था, जो सिर्फ इसके या इसकी पत्नी के फिंगर प्रिंट से ही खुलता था। पैसों के अलावा घर से नोट गिनने की मशीन, 40 तोले से ज़्यादा के हीरों के गहने, डिजाइनर तलवारें, विदेशी बंदूक, एयरगन, सवा सौ से ज्यादा जिंदा कारतूस और विदेशी शराब की बोतलें भी मिली थीं। बाद में इसके लॉकर से दो किलो सोना और तीन लाख रुपए नकद मिले थे।

5 पैनकार्ड, 8 कार और अरबों की दौलत का मालिक था डाॅ. सागर
जांच के दौरान पुलिस भिंड जिले की गोहद तहसील के तहत आने वाले डाॅ. सागर के पैतृक गांव छरेटा भी पहुंची थी। यहां भी सागर और उसके परिजनों के नाम सैकड़ों एकड़ ज़मीन के कागज मिले थे। इंदौर और ग्वालियर में एक मर्सिडीज समेत पुलिस को सागर के पास से कुल 8 लग्जरी कारें मिली थीं। पुलिस को यह भी पता चला था कि सागर ने अपने और अपनी पत्नी सुनीता के नाम पर कुल 8 पैनकार्ड बनवा रखे थे, जिनका उपयोग यह अलग-अलग बैंकों से लोन लेने में करता था। इसने कुछ बैंकों से भी फर्जी कागजात के आधार पर लोन ले रखा था।

2013 में करवाने थे 317 फर्जी एडमिशन
पुलिस ने सागर के पास से जो डायरी जब्त की थी, उसमें 2013 की पीएमटी में शामिल 317 ऐसे स्टूडेंट्स के नाम थे, जिनको पास कराने की सुपारी उसने ली थी। उस दौरान जांच में शामिल एक पुलिस अफसर के मुताबिक सागर ने यह माना था कि वह सन् 1998 से यह काम कर रहा है और हर एडमिशन के 15 से 25 लाख रुपए लेता है। सागर ने ही व्यापमं के नितिन महिन्द्रा को फर्जी एडमिशन करवाने के गुर सिखाए थे। सागर फिलहाल भोपाल की जेल में बंद है।

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