भोपाल। परिजनों के विरोध पर डॉक्टर बार बार हड़ताल शुरू कर देते हैं परंतु हकीकत यह है कि डॉक्टर अयोग्यता और लापरवाहियों के चलते मरीजों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। मामला छतरपुर से आ रहा है। यहां 6 साल की एक मासूम लड़की के कंधे में गोली धंसी हुई थी, लेकिन डॉक्टर ने उसे सामान्य चोट मानकर पट्टी कर दी और चलता कर दिया।
यह है मामला...
29 जून को शाम 7 बजे कोतवाली थाना क्षेत्र के बायपास रोड पर रहने वाले चिंतामन कुशवाहा की कक्षा 2 में पढ़ने वाली 6 साल की बेटी मोहिनी बाहर गली में खेल रही थी। अचानक वह गिर पड़ी और उसके कंधे से खून बहने लगा। वह रोते हुए घर आई और परिजनों को कंधे से खून निकलना बताया। इसके बाद बच्ची बेहोश हो गई।
डाॅक्टर की लापरवाही...
बच्ची के परिजनों ने सोचा कि उसके कंधे में कोई नुकीली चीज लगी होगी। वे फौरन उसे अस्पताल लेकर भागे। वहां उन्होंने बताया कि बच्ची खेलते-खेलते घायल हुई है। यह सुनकर डाक्टर ने घाव पर मलहम-पट्टी कर दी लेकिन हफ्तेभर बाद जब कंधे में सूजन आई, तो परिजन फिर अस्पताल पहुंचे। अबकी बार डाॅक्टर ने एक्सरे करवाया, तो उसमें गोली नजर आई। इसके बाद आॅपरेशन कर गोली निकाली गई। मोहिनी की मांग राधा बाई और पिता चिंतामन के अनुसार, उन्हें पता ही नहीं चला कि बच्ची के कंधे में गोली धंसी हुई है।
बच्ची की किस्मत अच्छी थी, जो गोली यहां-वहां नहीं लगी। गोली कंधे में जाकर 8 इंच नीचे पसलियों को तोड़ते हुए धंस गई थी।
डॉ. वीपी शेषा
जिला अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन
जिन्होंने ऑपरेशन करके गोली निकाली
