भोपाल। व्यापमं मामले में भाजपा की हुई बदनामी के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी ही केबीनेट से नाराज हो गए हैं। उन्होंने कुछ चुनिंदा मुत्रियों और अफसरों से चर्चा की और स्पष्ट रूप से कहा कि इस मामले में सरकार का पक्ष क्यों नहीं रखा जा रहा। आप सब चुप क्यों हैं। शायद वो कहना चाहते थे कि व्यापमं मामले में मुझे अकेला क्यों छोड़ दिया गया है। जिन मंत्रियों से चर्चा कर उन्होंने व्यापमं मामले में हमलावर होने के निर्देश दिए उनमें जयंत मलैया, गोपाल भार्गव एवं गौरीशंकर शेजवार प्रमुख हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार अपनी बात को पूरे तथ्यों के साथ मीडिया में रखे, जिससे सरकार की छवि बनी रहे। पूरे देश में व्यापमं घोटाले की गूंज से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बेचैन दिखाई दिए। उन्होंने सबसे पहले 10 बजे अपने सचिवालय के अफसरों से चर्चा कर पूरे मामले को गंभीरता से लेने को कहा। मुख्यमंत्री ने अफसरों पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि प्रदेश में हर मौत को व्यापमं से जोड़ा जा रहा है, लेकिन हम लोग समय पर संबंधित मृत्यु के सही कारणों की तथ्यात्मक जानकारी नहीं दे पा रहे।
इससे लोगों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न् हो रही है। विपक्ष और मीडिया व्यापमं घोटाले को देश का सबसे बड़ा घोटाला बनाने पर आमादा है। इस पर नियंत्रण करना जरूरी है, नहीं तो सरकार के साथ-साथ प्रदेश की छवि भी खराब हो जाएगी। अफसरों से चर्चा करने के बाद मुख्यमंत्री ने तीन मंत्रियों से अकेले में बात की। उन्होंने कहा कि व्यापमं को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने में अपने कार्यकर्ताओं के साथ जुट जाएं। आधे घंटे से अधिक लंबी चली चर्चा में मंत्रियों ने भी सुझाव दिए।
मीडिया को मनाने में जुटे अफसर
मुख्यमंत्री की नाराजगी को देखते हुए अफसरों ने सीएम निवास पर चुनिंदा नेशनल मीडिया के प्रतिनिधियों को बुलवाकर व्यापमं पर मुख्यमंत्री का कवरेज करवाया, वहीं दिल्ली के दो अंग्रेजी अखबारों के प्रतिनिधियों को भी बुलाकर डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास किया गया। इसके बाद मुख्यमंत्री दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
