भोपाल। लीजिए, मप्र में एक बार फिर खौफ का कारोबार शुरू होने जा रहा है। नाम है वही पुराना 'डेंगू'। पिछले एक सप्ताह से लगातार अखबारों में खबरें छपवाईं जा रहीं थीं कि इस बार डेंगू पिछली साल की तुलना में कम फैलेगा लेकिन होगा खतरनाक। आज ग्वालियर में पहला मरीज मिल गया। अब यह लिस्ट बढ़ाई जाएगी। मीडिया में रोज रोज छपवाई जाएगी, सरकारी अस्पतालों में इलाज नहीं मिलेगा। प्राइवेट अस्पताल के आईसीयू फुल हो जाएंगे। ताकि मेडिकल माफिया करोड़ों का कारोबार कर सके।
हड़बड़ी का प्रदर्शन
ग्वालियर से खबर आ रही है कि घोसीपुरा इलाके में पहला डेंगू पाॅजीटिव मरीज मिलने से संबंधित अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। सभी अस्पतालों को अलर्ट कर दिया गया है। मलेरिया विभाग के जिला मलेरिया अधिकारी डाॅ0 मनोज कौरव ने टीम को क्षेत्र का सर्वे करने के निर्देष दिये हैं।
दहशत का दंश
2013 में 173, 2014 में 163 मरीज चिन्हित हुये थे, बीमारी की वजह मादा एडीज एजिप्टी मच्छर होता है। साफ पानी इसकी प्रजनन की अनुकूल जगह होती है। इस मच्छर का जीवन 2 से 3 सप्ताह रहता है। दिन के समय ज्यादातर घुटने से ऊपर तक ही काटते हैं। वायरस 1,2,3,4 टाइप होता है। सबसे खतरनाक 2 और 3 टाइप का होता है। डिस्प्रिन, एस्प्रिन या कोई भी पेन किलर इस रोग में बिल्कुल न लें। इससे प्लेटलेट्स काउंट एकदम नीचे जा सकता है और मरीज की मौत हो सकती है।
क्या करे सरकार
स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को पाबंद कर दें, सरकारी अस्पताल में आया एक भी डेंगू का मरीज प्राइवेट अस्पताल में शिफ्ट नहीं होना चाहिए। हुआ तो सिविल सर्जन सस्पेंड। दवाओं का स्टॉक तैयार रखो। डॉक्टरों को तैनात रखो। छोटे अस्पतालों में जरूरत पड़े तो सीनियर डॉक्टर्स के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग करो। संभागीय मुख्यालयों पर विशेषज्ञों का पैनल बनाएं। पूरे संभाग में दौरे पर भेजें। जहां डेंगू का मरीज मिले, वहां पैनल पहुंच जाए। यदि सरकार ऐसा कर सके तो हम क्षमा प्रार्थना सहित खंडन प्रकाशित करने को तैयार हैं। कान पकड़कर दण्ड बैठक करने को तैयार हैं। अपने शब्द वापस लेने को तैयार हैं कि यह दहशत का धंधा मेडिकल माफिया के कारोबार को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।