मप्र स्कॉलरशिप घोटाला: हाईकोर्ट ने दिए जांच के आदेश

जबलपुर। प्रदेश के जबलपुर, इंदौर, भोपाल, ग्वालियर जैसे बड़े और छोटे जिलों में स्थित 495 सरकारी व गैर सरकारी इंजीनीयरिंग, पॉलीटेक्नीक कॉलेजों में करोड़ों के स्कॉलरशिप घोटाले का आरोप लगाया गया है। मामला आदिवासी विकास और अल्पसंख्यक विभाग के बाद सीधे हाईकोर्ट तक जा पहुंचा। इंजीनीयरिंग छात्र संगठन ने अफसरों और कॉलेज प्रबंधनों के खिलाफ याचिका दायर की थी।

इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने शासन स्तर पर जांच कराने के निर्देश दिए हैं। याचिका पक्ष ने कोर्ट में अफसरों की मिलीभगत पर ठोस कार्रवाई की बात पेश की लेकिन कोर्ट ने कहा कि चूंकि मामला राज्य शासन स्तर का है इसलिए पहले जांच शासन ही करेगा। जैसे ही कोर्ट ने निर्देश दिए कलेक्ट्रेट के अल्पसंख्यक और आदिवासी विकास विभाग के कर्मचारियों और अफसरों के बीच खुशी का माहौल बन गया। हालांकि शासन पहले ही सभी जिलों से कॉलेजों का डाटा मांगा चुका है।

यहां से शुरू हुआ मामला
आयुक्त पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विभाग को दी गई जानकारी में बताया गया कि जबलपुर में साल 2012-13 में ओबीसी और एससी-एसटी की छात्रवृत्ति का वितरण आदिवासी विकास विभाग के जरिए किया जाता था। इसके बाद साल 2013-14 में छात्रवृत्ति का वितरण डीबीटी योजना के तहत सीधे बैंक खाते में होने लगा। कई निजी कॉलेज प्रबंधनों में पढ़ने वाले छात्रों ने कई जगह एडमिशन लेकर छात्रवृत्ति का लाभ उठाया। ये सभी छात्र साल 2009 से लेकर 2012 तक इन कॉलेजों में दर्ज थे।

-पहली नजर में ये मामला छोटा लग सकता है, लेकिन आरोप 1200 करोड़ से ज्यादा के लगे हैं। ठीक इसी तरह के आरोप प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर के अलावा तमाम जिलों के कॉलेज प्रबंधनों पर लगाए गए हैं। इंजीनीयरिंग छात्र संगठन की याचिका में लगे आरोपों की मानें तो लगातार कई सालों तक कॉलेज और विभागीय मिलीभगत से स्कॉलरशिप घोटाला किया जाता रहा।

जांच के बाद 18 छात्रों की रकम वापस
हाईकोर्ट में याचिका क्रमांक 18929/2014 में मिले निर्देशों पर विभाग स्तर पर जांच की गई। इसमें जिले के राधा स्वामी इंजीनीयरिंग कॉलेज के 13 छात्र और इसके अलावा अन्य कॉलेजों के 18 छात्रों को गलत तरीके से छात्रवृत्ति दिए जाना पाया गया। सभी कॉलेज वालों ने इन छात्रों की रकम विभाग को वापस की है। खासबात ये रही कि इन छात्रों के नाम एक ही साल में अलग-अलग कॉलेज में दर्ज मिले हैं।

वर्तमान में ऐसे ही तमाम कॉलेजों की जांच जिला स्तर पर की जा रही है। वहीं लोकायुक्त से लेकर ईओडब्ल्यू अपने स्तर पर जांच कर रहा है।

हाईकोर्ट का निर्देश
इंजीनियरिंग संगठन के प्रवीण कुमार के वकील नितिन जैन ने कमिश्नर कार्यालय के कर्मचारी विलसन की घोटाले में संलिप्तता के बावजूद उसे ओआईसी बनाए जाने का विरोध किया। इस पर जस्टिस राजेन्द्र मेनन व एसके गुप्ता की डिवीजन बेंच ने जांच के बाद समुचित कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए। रिपोर्ट पेश करने 4 सप्ताह का समय दिया गया है।

जिले सहित प्रदेश के अन्य जिलों में इस तरह के मामले सामने आए हैं। हाईकोर्ट में बुधवार को शासन स्तर पर जांच के लिए निर्देश जारी हुए हैं। पहले से जिला स्तर पर कई कॉलेजों की जांच की जा चुकी है। कई कॉलेज वालों से राशि भी वसूली गई है।
जेएस विलसन,
सहायक संचालक, अल्पसंख्यक विभाग

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