नईदिल्ली। भारत की लालफीताशाही और भ्रष्टाचार पूरी दुनिया में कुख्यात हैं। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जो बिडेन ने भी मोदी को टिप दिया है कि यदि वो चाहते हैं कि भारत तेजी से तरक्की करे तो भारत को अफसरों के चंगुल से छुड़ाएं, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाएं और विदेशी निवेश की सीमाएं समाप्त कर दें।
उन्होंने भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार के 10 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में कल यहां अयोजित एक समारोह में कहा, 'हम जानते हैं, एक मजबूत और जीवंत भारतीय अर्थव्यवस्था अमेरिका के अपने हित में है और एक बढ़ती हुई अमेरिकी अर्थव्यवस्था भारत के हित में है। इसमें एक का लाभ का मतलब दूसरे का नुकसान नहीं है।'
उन्होंने कहा, '..और प्रधानमंत्री मोदी जानते हैं, भारत लालफीताशाही खत्म करके, भ्रष्टाचार से मुकाबला करते हुए, विदेशी निवेश पर से सीमाएं हटा कर आगे बढ़ सकता है। यह निर्णय भारत के लिए है।' बिडेन ने दोनों देशों के पारस्परिक व्यापार को सालाना 500 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंचाने के लिए 2013 में तय लक्ष्य का उल्लेख किया और कहा कि उच्च स्तर की द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) इस दिशा में एक मजबूत कदम होगा।
इससे भारत अमेरिकी पूंजी और प्रौद्योगिकी के लिए आकर्षक स्थान बनेगा तथा भारतीयों को भी अमेरिका में निवेश से लाभ होगा। दोनों देशों के बीच 2008 से इस प्रकार की एक संधि के प्रस्ताव पर बातचीत चल रही है। बिडेन ने कहा कि उनका देश भारत में रोजगार के अवसर बढाने और स्थानीय स्तर पर उत्पादन में वृद्धि के वहां की सरकार के लक्ष्य का समर्थन करता है पर उसकी इच्छा है कि ये लक्ष्य व्यापार में बाधा पहुंचाए और नव प्रवर्तन को हतोत्साहित किए बिना होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि अमेरिका विश्व व्यापार संगठन की दोहा दौर की वार्ताओं को पूरा करने और डब्ल्यूटीओ के व्यापार सुगमता समझौते के क्रियान्वयन पर भारत के साथ मिलकर काम कर रहा है। इसके पूरा होने पर वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार प्रणाली को बड़ा फायदा होने की उम्मीद है।