राकेश दुबे@प्रतिदिन। निश्चित ही व्यापम कांड में जेल में बंद कुछ लोग तो स्वयंसेवक है, मरने वालो के बारे में कुछ ठीक ठीक कहा नहीं जा सकता। लाभान्वित होने वालों में भी कुछ ऐसा ही विभाजन हो सकता है और कथित आरोपियों में भी। संघ की दृष्टि बड़ी बारीक़ है। सारी भाजपा सरकारों और सरकारों की कारगुजारी पर निगहबानी और अनदेखी मिसाल बनती जा रही है। प्रतिपक्ष द्वारा खुलकर नामजद आरोप के बाद भी संघ की ओर से कोई प्रतिक्रिया मध्यप्रदेश पर नहीं आ रही है।
दूसरी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नाराजगी से भाजपा की वसुंधरा सरकार में हड़कंप मच गया है। मंदिरों को तोड़े जाने के विरोध में संघ ने सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजा दिया है। भाजपा के मंत्रियों, विधायकों और सांसद को संघ ने जम कर फटकार लगाते हुए सरकार की कार्यशैली का विरोध करने की नसीहत भी दी है। केंद्रीय नेतृत्व ने अब प्रदेश भाजपा में राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री वी सतीश को राजस्थान की जिम्मेदारी देकर भेज दिया है।
राज्य में डेढ़ साल से शासन कर रही भाजपा सरकार को अब अपने ही लोगों का विरोध झेलना पड़ रहा है। भाजपा को जमीनी स्तर पर ताकत देने वाला संघ अब वसुंधरा सरकार की कार्यशैली के खिलाफ मैदान में उतर गया है। उसने जयपुर में मंदिरों को तोडे जाने के विरोध में नौ जुलाई को चक्का जाम आंदोलन का एलान कर सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी है।
मध्य प्रदेश में आरोप और मौतों का दृश्य अत्यंत गम्भीर है। संघ का कोई स्वयंसेवक इस तरह के गडबडझाला करेगा सहज विश्वास नहीं किया जा सकता। सरकार की धींगामस्ती कोई प्रतिक्रिया न आना आश्चर्यजनक है। मौतों की फेहरिश्त और संघ अनदेखी अनेक प्रश्न खड़े करती है। संघ की और से कम से कम उन आरोपों पर स्थिति स्पष्ट करना ही चाहिए, जिसमे उसके बड़े अधिकारीयों के नाम जुड़े हैं।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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