मंत्रियों का दर्द: कौन सी फाइल कहां दबी है हमें ही पता नहीं

भोपाल। डिजिटल इंडिया तो ठीक है पर झंझट इस बात की है कि मंत्रालय की ही फाइलों का पता नहीं चलता है। कौन बाबू कब से दबाये है और किस अधिकारी के पास फाइल नहीं पहुंची है पता ही नहीं चलता।। मंत्रालय में ई-फाइल सिस्टम लागू होना चाहिए। यह बात प्रदेश के दो वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव और उमाशंकर गुप्ता ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने उठाई है। सीएम ने मंत्रियों की मंशा पर निर्देश दिये हैं कि फाइल मूवमेंट और फाइल ट्रेकिंग सिस्टम सुधारा जाए।

दोनों मंत्रियों ने यह बात उस समय उठाई है जब पीएम मोदी पूरे देश को डिजिटल इंडिया बनाना चाहते है। इसी के मद्देनजर शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रालय में एक दर्जन से अधिक विभाग प्रमुखों की बैठक बुलाई थी। बैठक में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव और उच्च शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता प्रमुख रूप से मौजूद थे। आईटी सचिव हरिरंजन राव जब मोदी के 9 बिन्दुओं पर प्रजेंटेशन दे रहे थे तभी मंत्री भार्गव ने कहा कि ‘झंझट तो यह है कि मंत्रालय की फाइलें नहीं मिलती हैं’। मंत्री गुप्ता ने भी इसका समर्थन किया और कहा कि मंत्रालय में ई-फाइल सिस्टम होना चाहिए। मंत्रियों के यह कहने पर मुख्यमंत्री ने बात मानी और मौके पर ही निर्देश दिये कि फाइल मूवमेंट और फाइल ट्रेकिंग सिस्टम सुधारो। सीएम ने कहा कि किसी बाबू या अफसर के पास फाइल रखी होने का समय तय किया जाये। इसमें जिसकी भी लापरवाही मिले उसके खिलाफ कार्रवाई की जाये।

राव ने बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी है, जो ई- फाइल सिस्टम पर रिपोर्ट बना रही है। छह माह के भीतर कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी। सीएम ने इस अवधि को घटाते हुये तीन माह में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों में ई-अटेण्डेंट के सुझाव पर कहा है कि कांसेप्ट अच्छा है पर शुरूआती तौर पर काफी विरोध हो सकता है, पर ई-अटेंडेंट सिस्टम को प्रभावी बनाया जाये।

उच्च शिक्षा में हो चुका है फाइलों का झंझट
गौरतलब है कि मंत्रालय में फाइलों को लेकर उच्च शिक्षा विभाग में झंझट हो चुका है। विभाग के कर्मचारियों ने उप सचिव ललित दाहिमा पर आरोप लगाया था कि वे फाइलें अपने पास दिनों तक रखे रहते हैं। फाइलों को लेकर तू-तू, मैं-मैं तक की स्थिति आ गई थी। बाद में प्रमुख सचिव ने इस मामले में हस्तक्षेप किया था।

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