भोपाल। अपनी ही पार्टी में अलग थलग पड़ गए शिवराज अब संघ की शरण में हैं। व्यापमं मामले में शिवराज ने जितने भी दिग्गजों ने मदद की उम्मीद की, उन्होंने शिवराज से बातें को मीठी मीठी कीं परंतु उसके नतीजे कुछ खास दिखाई नहीं दिए। यहां तक कि उनके अपने साथी मंत्री भी उनके सामने खुलकर खड़े नहीं हुए। अब शिवराज संघ की शरण में हैं। बता दें कि आरएसएस में शिवराज के बड़े अच्छे संपर्क हैं और इन्हीं की बदौलत वो मुख्यमंत्री बने थे।
अपने दिल्ली के एकदिवसीय दौरे मे देर शाम दिल्ली स्थित संघ कार्यालय केशवकुंज पहुँचे और संघ मे भाजपा के मार्गदर्शक और सहसरकार्यवाह डा. कृष्णगोपाल से मुलाकात की। इससे पहले भी वे संघ के वरिष्ठ अधिकारियो से चर्चा कर चुके है।
लास्ट लाइफ लाइन का यूज
इस बार शिवराज ने लास्ट लाइफ लाइन का यूज कर लिया। दलील दी गई कि यह तो शिवराज के साथ नाइंसाफी होगी कि तीन एक जैसे मामलों में दो लोगों को तो अभयदान मिला, लेकिन चौहान के हाथ से सत्ता छीन ली जाए। प्रधानमंत्री को जनता से किए वादों से ज्यादा यह बात खलती थी कि शिवराज-वसुंधरा और सुषमा स्वराज तीनों ने कभी पूरे मन से मोदी जी को नेता नहीं माना। खासकार सुषमा और शिवराज तो काफी देर तक मोर्चा संभाले रहे।
