राकेश दुबे@प्रतिदिन। और शांता कुमार, जी वही हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री को खत लिखने पर नसीहत मिल गई है। वरिष्ठो से तो भाजपा वैसे भी इन दिनों परहेज बरत रही है। शांता कुमार भाजपा की उस पीढ़ी के नेता है, जो जनसंघ से भाजपा बनाने की उस धुन में शामिल थे, जो पंडित दीनदयाल उपाध्याय और डॉ मुखर्जी ने छेडी थी। अब तो गायन वादन और नृत्य सब केन्द्रित है। सवाल यह है कि उन्हें नसीहत क्यों मिली ?
मध्य प्रदेश के व्यापम और महाराष्ट्र में चिक्की आदि विवादों को लेकर शांता कुमार के रुख से पार्टी आलाकमान[ ?] नाराज है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को लिखी चिट्ठी लीक होने पर वरिष्ठ सांसद शांता कुमार को आलाकमान ने नसीहत दी है। सूत्रों के मुताबिक, शांता कुमार को कहा गया है कि वह संभलकर अपनी बात रखे। श्री जेपी नड्डा ने शांता कुमार से बात की है और उन्हें पार्टी की प्रतिक्रिया से अवतग कराया है। नड्डा ने शांता कुमार से गुजारिश की है कि वह पार्टी की आंतरिक चर्चा और बातचीत को लीक होने से रोके।
महाराष्ट्र में चिक्की घोटाले, मध्य प्रदेश के व्यापम और राजस्थान की वसुंधरा राजे विवाद को लेकर शांता कुमार ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में उन्होंने कहा है कि एक आंतरिक लोकपाल बनाकर ऐसे मामलों से निपटाने का दिया है |शांता कुमार का यह कहना कि भाजपा शासित राज्यों में पैदा हुये इन विवादों के कारण पार्टी का सिर शर्म से झुका हुआ है और कार्यकर्ता सिर उठाकर नहीं चल पा रहे हैं। पार्टी को नागवार गुजरा है।
भाजपा ऐसी हो जाएगी इसका किसी को अनुमान नहीं था। पार्टी चाल चरित्र और चेहरा ठीक करने की हिदायत देने वालो को पार्टी दरकिनार करती आ रही अब घोटाला छिपाना और जिम्मेदार लोगों को बचाने के कुत्सित खेल साफ दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में दुष्यंत की यह पंक्तियाँ याद आती है “ मत कहो आकाश में कोहरा घना है।”
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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