राकेश दुबे@प्रतिदिन। मलिकार्जुन खड्गे लोकसभा में उस कांग्रेस के नेता हैं, जो पंडित जवाहरलाल नेहरु को अपना सब कुछ मानती है। दुर्भाग्य नेहरु से ये कुछ सीख नहीं सके। यदि सीखा होता तो अपने अभिन्दन पर कुछ सोचते। सन्दर्भ श्री खड्गे है पर पंडित नेहरु का यह प्रसंग कांग्रेस भाजपा सभी के लिए सार्वजनिक जीवन जीने के लिए कुछ सोचने को मजबूर करता है।
प्रुडेंशियल प्रॉपर्टीज ने खड़गे का अभिनंदन करने के लिए हाल ही में काफी पैसा खर्च किया। यह बात कुछ अजीब लगती है। अगर उसके मालिक खड़गे के मित्र हैं, तो वह उन्हें फोन पर बधाई दे सकते हैं। अगर वह घनिष्ठ मित्र हैं, तो वह पार्टी दे सकते हैं, लेकिन एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार में विज्ञापन देने का क्या मतलब है?
सन 1949 में जवाहरलाल नेहरू पहली बार अमेरिका की यात्रा पर गए। न्यूयॉर्क के मेयर ने उनके सम्मान में एक विशाल समारोह आयोजित किया। मेयर ने अपना स्वागत भाषण यह कहते हुए शुरू किया कि मिस्टर नेहरू इस मेज के आसपास एक अरब डॉलर मौजूद हैं। मेयर ने यह बात नेहरू को खुश करने के लिए कही थी, लेकिन उससे नेहरू नाराज हो गए। अगर मेयर 10-12 नोबेल पुरस्कार विजेताओं या रॉयल सोसायटी के सदस्यों को आमंत्रित करते, तो नेहरू ज्यादा खुश होते। जब तक नेहरू प्रधानमंत्री थे, तब तक कांग्रेस पार्टी ने पूंजीपति वर्ग को अपने से हाथ भर की दूरी पर रखा।
शायद नेहरू और इंदिरा गांधी उद्योगपतियों के प्रति जरूरत से ज्यादा संदेह रखते थे और शायद आज के राजनेता उद्योगपतियों के कुछ ज्यादा ही करीब हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए यह विज्ञापन एक व्यापक रवैये को रखता है, जो तमाम राज्यों और पार्टियों में मौजूद है। कांग्रेस- भाजपा आज मोदी गेट पर उलझी हुई हैं। दोनों एक दूसरे के दामन पर कीचड़ फेंक रहे हैं। कभी इतिहास भी पलट लो दोस्तों।