भोपाल/उज्जैन। मध्यप्रदेश के व्यापमं (व्यावसायिक शिक्षा मंडल) घोटाले की जांच के दायरे में रहीं एमबीबीएस की स्टूडेंट नम्रता डामोर की मौत सुसाइड नहीं, हत्या थी। नम्रता की फर्स्ट ऑटोप्सी करने वाले डॉ. बी.बी. पुरोहित ने बुधवार को यह दावा किया।
पुरोहित ने मीडिया को बताया, ‘नम्रता का मर्डर हुआ था। उसकी नेचरल डेथ होने के एक पर्सेंट चांस भी नहीं हैं। नम्रता की मौत गला दबाए जाने से हुई थी। मौत के बाद उसे रेलवे ट्रैक पर घसीटा गया था। रेप की आशंका के चलते उसके प्राइवेट पार्ट से सैम्पल भी लिए गए थे।’
नम्रता एमबीबीएस कोर्स की सेकंड ईयर की स्टूडेंट थी। वह व्यापमं घोटाले के तहत गलत तरीके से हुए एडमिशनों की जांच के दायरे में थी। जनवरी 2012 में उनकी लाश उज्जैन के पास रेलवे ट्रैक पर मिली थी। बीते सप्ताह टीवी पत्रकार अक्षय सिंह झाबुआ स्थित नम्रता के घर पर उनके पिता का इंटरव्यू लेने गए थे जहां अक्षय की भी संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी।
ऑटोप्सी रिपोर्ट में कहा गया है कि नम्रता की मौत violent asphyxia यानी गला दबाए जाने से हुई थी। यह मामला मर्डर जैसा है। वहीं डॉ. पुरोहित ने मीडिया को बताया- ‘हम तीन डॉक्टरों को 25 साल का तजुर्बा है। हमारी रिपोर्ट में कहा गया था कि नम्रता की नाक और मुंह पर चोट के निशान थे। उसका गला दबाया गया था। उसके बाकी शरीर पर भी पर निशान थे। उसे मौत के बाद रेलवे ट्रैक पर घसीटा गया था।
हमें आशंका थी कि मर्डर से पहले उसका रेप तो नहीं हुआ? इसके लिए उसके प्राइवेट पार्ट से सैम्पल भी लिए गए थे। इन्हें बाद में पुलिस को आगे की जांच के लिए भेज दिया गया था।’
नम्रता के चेहरे पर तीन जगह मिले नाखून के निशान
नम्रता की फर्स्ट ऑटोप्सी रिपोर्ट पर 9 जनवरी 2012 को डॉ. पुरोहित के साथ ही डॉ. ओ.पी. गुप्ता और डॉ. अनिता जोशी ने दस्तखत किए थे। डॉ. पुरोहित ने बुधवार को कहा- हमारे पैनल ने पहली रिपोर्ट और फिर डिटेल्ड पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कभी नहीं कहा कि नम्रता की मौत का मामला सुसाइड का है। हमने उसके चेहरे पर तीन जगह नाखूनों के निशान भी देखे थे।’
केस रिओपन हुआ या 24 घंटे में फिर बंद हो गया?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक उज्जैन के एसपी मनोहर सिंह वर्मा ने कहा है कि नम्रता डामोर के केस का रिव्यू होगा। एसडीओपी आर.के. शर्मा मामले की जांच शुरू करेंगे। वहीं, न्यूज चैनल एबीपी का दावा है कि उज्जैन पुलिस ने केस को दोबारा खोलकर 24 घंटे के अंदर ही फिर बंद कर दिया है।
पुलिस ने 11 महीने जांच के बाद मर्डर को बताया था सुसाइड
नम्रता 7 जनवरी 2012 को इंदौर-बिलासपुर ट्रेन से जबलपुर जा रही थी, जबकि पुलिस का कहना है कि जबलपुर में उसका कोई फ्रेंड या रिश्तेदार नहीं था। नम्रता इंदौर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस सेकंड वर्ष की स्टूडेँट थी। उसी दिन नम्रता का शव कायथा के करीब रेलवे ट्रैक पर मिला था।
22 दिन बाद नम्रता के भाई दीपेंद्र ने उज्जैन पहुंच कर उसकी शिनाख्त की थी। पीएम रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने मामले में मर्डर केस दर्ज किया था।
कायथा थाने के एसआई माधव शर्मा ने नम्रता के परिजन, इंदौर में उसके होस्टल के वार्डन व 3 सहेलियों के बयान लिए थे।
नम्रता के परिजनों ने उसके दोस्तों पर हत्या का शक जताया। पुलिस ने उसके दोस्त डॉ. विशाल वर्मा (राजपुरा,बड़वानी), यश दिसावल (होशंगाबाद), देव सिसौदिया (झाबुआ) और आलेख दवे (रतलाम) के भी बयान लिए। लेकिन घटना के समय किसी की भी उज्जैन के आसपास की लोकेशन नहीं मिली।
एसआई शर्मा के मुताबिक इनमें से डॉ. विशाल व्यापमं घोटाले में आरोपी है और फिलहाल जेल में बंद है।
पुलिस ने जांच के बाद पाया नम्रता को एक्सीडेंट के कारण चोट लगी थी। इसके बाद दिसंबर 2012 में केस बंद कर दिया गया।