सागर/भोपाल। दुनिया जिस इको फ्रेंडली फ्यूल की खोज में जुटी है, वो मप्र के सागर में बन गई है। अब यहां इको फ्रेंडली फ्यूल से चलने वाली कार का उत्पादन शुरू करने की योजना बन रही है। इस कार का फार्मूला सागर के गैस वेल्डर मोहम्म्द रहीस मकरानी ने बनाया है जो केवल 12वीं पास हैं।
इस फार्मूले के सिलसिले में वे 26 मई को चीन गए थे और हाल ही में लौटे हैं। फार्मूले को पेटेंट कराने के लिए उन्होंने 2013 में इंटलेक्चुअल प्रोपर्टी ऑफ इंडिया के मुंबई स्थित आॅफिस में अर्जी भी लगाई है। महज साइंस से हायर सेकंडरी पास मैकेनिक रहीस के फार्मूले का चीन के वैज्ञानिकों और मैकेनिकल एक्सपर्ट ने भी लोहा माना है।
रहीस के अनुसार चीन के सिनयांग शहर से इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली मल्टीनेशनल कंपनी काेलियो के एमडी सुमलसन ने इस फार्मूले पर मिलकर काम करने का प्रस्ताव रखा है। कंपनी ने बड़े स्तर पर फार्मूला तैयार कर चीन में ही लांच करने के उद्देश्य से मुझे बुलाया था। मैंने इसे भारत और खासकर सागर में तैयार कर लांच करने की शर्त कंपनी के सामने रखी है।
कंपनी ने इस संबंध में तीन महीने बाद निर्णय करने की बात कही है। मैंने कंपनी से बड़े स्तर पर पानी और कार्बाइड से एसिटिलीन बनाकर इसे इलेक्ट्रिक एनर्जी लिक्विड फ्यूल में बदलकर देने पर बात की है। यदि कंपनी तैयार हो गई तो पानी से बने फ्यूल से चलने वाली पहली कार ईजाद हाेगी। रहीस के अनुसार देश में कैल्शियम कार्बाइड के भंडार हैं। इसलिए पेट्रोल-डीजल का विकल्प बनने वाली यह तकनीक सस्ती भी पड़ेगी और पर्यावरण के अनुकूल भी रहेगी।
दुबई की कंपनी से भी आया था ऑफर
रहीस के अनुसार 2013 में दुबई की इंवेस्टमेंट कंपनी लस्टर ग्रुप ने भी मुझे इस फार्मूले पर काम करने के लिए सहयोग करने का ऑफर दिया था। लेकिन भारत में रहकर फार्मूला तैयार और लांच करने की बात को लेकर सहमति नहीं बन पाई थी।
एेसे तैयार की पानी से चलने वाली कार
पेट्रोल इंजन में फेरबदल के बाद एसिटिलीन से चलने वाला इंजन बनाया। कार में पीछे की तरफ एक सिलेंडर लगाया है। इसमें पानी और कैल्शियम कार्बाइड को मिलाकर एसिटिलीन पैदा किया जाता है। कुछ ही देर में एसिटिलीन बनते ही कार चलने लगती है। बायोलॉजी में विशेष रुचि रखने वाले रहीस को मोटर, गाड़ियां सुधारने का हुनर विरासत में मिला है। उनके पिता मो. सईद मकरानी भी मैकेनिक हैं। उनका सदर में गैराज है। यही गैराज रहीस की लैब भी है।
गैस वेल्डिंग करते वक्त सूझा यह आइडिया
रहीस के मुताबिक मुझे गैस वेल्डिंग करने के दौरान पानी से कार चलाने का आइडिया सूझा। गाड़ी के इंजन के पिस्टन को चलाने के लिए आग और करंट चाहिए। वेल्डिंग में भी कैल्शियम कार्बाइड और लिक्विड के मिलने से आग पैदा होती है। उसने अपनी पेट्रोल कार के इंजन में हलका फेरबदल किया और गाड़ी के फ्यूल टैंक में पेट्रोल के बजाय पानी और कैल्शियम कार्बाइड की पाइप लगा दी। इसके बाद गाड़ी को स्टार्ट करके देखा तो इंजन ऑन हो गया। इस तकनीक को विकसित करने में करीब पांच साल लग गए। अब उसकी कार 20 लीटर पानी और 2 किलोग्राम कैल्शियम कार्बाइड के मिश्रण से तैयार ईंधन से 20 किलोमीटर चलती है।
