भोपाल। पूरे 200 साल यह महल भोपाल के हर बदलाव का गवाह रहा। फ्रेंच अौर इंडियन स्थापत्य कला के संगम का बेजोड़ नमूना अब इस दुनिया में नहीं रहा। उसे बदर्दी के साथ ढहा दिया गया। अब यह सिर्फ तस्वीरों में शेष रह गया।
करीब दो सौ साल पहले फ्रेंच अौर इंडियन स्टाइल में भोपाल में शौकत महल बना था। यह महल भोपाल की पहली महिला नवाब गौहर बेगम कुदसिया ने अपनी बेटी सिकंदर बेगम को दहेज में देने के लिए बनवाया था, बेटी सिकंदर यहां कुछ सालों तक रही। इसके बाद उन्होंने एक और महल बनवाया और वहीं रहने लगी।
पुरुषों का हिस्सा था शौकत महल
भोपाल के इतिहासकार सैयद अख्तर हुसैन बताते हैं, 'यह महल दो हिस्सों में बंटा था। पुरुषों के लिए बना मर्दाना हिस्सा शौकत महल कहलाता था। वहीं, महिलाओं के लिए बने जनाना हिस्से को जीनत महल कहा जाता था। नवाब गौहर महल कुदसिया ने 1819 से 1837 तक भोपाल पर शासन किया था। इसी दौरान उन्होंने यह महल अपनी बेटी सिकंदर बेगम को देने के लिए बनवाया था। सिकंदर बेगम की शादी जहांगीर मोहम्मद खां से हुई थी, जो कुदसिया बेगम के बाद भोपाल के नवाब बने और 1837 से 1844 तक शासन किया।'
70 साल से नहीं खुला एक दरवाजा
सैयद अख्तर हुसैन बताते हैं, 'अब यह महल प्राइवेट प्रॉपर्टी बन चुका है। इसका एक दरवाजा तो खुला रहता है, लेकिन एक अन्य दरवाजा करीब 70 सालों से बंद है। पिछले 70 साल में यह दरवाजा कभी नहीं खुला। अब इस दरवाजे के सामने अतिक्रमण हो गया है।'
महिलाओं के लिए था खुला आंगन
हुसैन ने बताया कि आज जिसे भोपाल में इकबाल मैदान के नाम से जाना जाता है, वह मैदान शौकत महल, मोती महल, गौहर महल का आंगन था और इसका उपयोग नवाब खानदान की महिलाएं सैर के लिए करती थीं। महिलाएं सुबह-शाम यहां इकट्ठे होकर बातचीत करती थीं और घूमती थीं। भोपाल का प्रसिद्ध ताजमहल पैलेस बनने के दौरान दूसरी महिला नवाब शाहजहां बेगम भी कुछ समय तक इसी महल में रहीं थीं। महल के एक हिस्से में बड़ी दरार आ गई थी, इसलिए नगर निगम ने इसे गिराने का फैसला लिया।
