भोपाल। जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक में हुए अरबों रुपए के जमीन घोटाले में लगातार चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं। इस मामले में शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश काशीनाथ सिंह की अदालत में पेश 17वें चालान में कहा गया है कि बैंक अधिकारियों व अन्य आरोपियों ने मिलकर 141 किसानों की करीब 16 अरब की 800 एकड़ जमीन को मात्र डेढ़ करोड़ रुपए में नीलाम कर दिया। साथ ही नीलामी के नोटिस की तामिली उन किसानों को दिखा दी जो जीवित ही नहीं थे।
लोकायुक्त द्वारा पेश चालान में बैंक के तत्कालीन विक्रय अधिकारी विजेन्द्र कुमार कौशल, हरिमोहन माथुर, जिला सहकारी संस्थाएं के तत्कालीन महाप्रबंधक एचसी सिंघई और जमीन के खरीददार प्रदीप कुमार जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, धोखाधड़ी , षडयंत्र के तहत सुनवाई किए जाने का निवेदन किया गया है। बैंक में यह घोटाला निरंतर 7 वर्षों तक चलता रहा। इस बात की खबर किसानों तब लगी जब उनकी जमीन की रजिस्ट्री किसी अन्य के नाम पर हो चुकी थी।
बिल्डर, नेता और पुलिस अधिकारियों ने खरीदी जमीन
जमीन घोटाले में बिल्डर, ठेकेदार, राजनैतिक, प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस के अधिकारियों ने बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर साठगांठ की थी। सभी ने किसानों की कीमती जमीन को कौड़ियों के दाम पर अपने नाम पर दर्ज करा लिया। आरोपियों को इस बात का गुमान था कि इस मामले में राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस अधिकारियों के प्रभाव के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो सकेगी।