भोपाल। प्रदेश में नगरीय स्वच्छता को उन्नत करने के लिए राज्य स्तर पर संचालित मुख्यमंत्री शहरी स्वच्छता मिशन और स्वच्छ भारत मिशन को समन्वित कर लिया गया है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज संपन्न मंत्रि-परिषद् की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
यह भी निर्णय लिया गया कि मुख्यमंत्री शहरी स्वच्छता मिशन के अंतर्गत स्वीकृत शौचालयों को प्रचलित प्रक्रिया से बनवाया जाए। चयनित हितग्राही को यह अतिरिक्त विकल्प दिया जाएगा कि वह स्वयं या निकाय के माध्यम से शौचालय निर्माण करवा सके। स्वच्छ भारत मिशन में व्यक्तिगत स्वच्छ शौचालय के निर्माण के लिए प्राप्त केंद्रीय अनुदान और राज्य अनुदान का वितरण भी निर्धारित किया गया। इसके अनुसार इकाई लागत 13 हजार 600 रुपये में से केंद्रांश 4000 रुपए, राज्यांश 6,880 रुपये, निकाय अंशदान 1360 रुपए और हितग्राही अंशदान 1360 रुपए रहेगा। मिशन में राज्य के प्रत्येक शौचालयविहीन भवन स्वामी को व्यक्तिगत शौचालय निर्माण के लिए अनुदान की पात्रता होगी।
शौचालय निर्माण अनुदान प्रावधान निर्धारित
सामुदायिक शौचालय निर्माण के लिए अनुदान के प्रावधान भी निर्धारित किए गए हैं। इसके अनुसार नगर परिषद और नगर पालिका परिषद क्षेत्र में केंद्रांश 40 प्रतिशत और राज्य शासन का अनुदान 50 प्रतिशत और निकाय अंशदान 10 प्रतिशत रहेगा। भोपाल और इंदौर नगर निगम को छोड़कर केंद्रांश 40 प्रतिशत, राज्य शासन अनुदान 45 प्रतिशत और निकाय अंशदान 15 प्रतिशत रहेगा। भोपाल और इंदौर नगर निगम के लिए केंद्रांश 40 प्रतिशत, राज्य शासन अनुदान 40 प्रतिशत और निकाय अंशदान 20 प्रतिशत रहेगा। नगरीय क्षेत्रों में सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण जन-निजी-भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से करवाए जाने का अनुमोदन मंत्रि-परिषद् द्वारा किया गया।
राज्य-स्तरीय स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) उच्चाधिकार समिति गठित
सेप्टेज प्रबंधन के लिए मुख्यमंत्री शहरी स्वच्छता मिशन में नगर परिषद और नगर पालिका परिषद में राज्य शासन का अनुदान 90 प्रतिशत और निकाय अंशदान 10 प्रतिशत रहेगा। इस कार्य के लिए भोपाल और इंदौर नगर निगम को छोड़कर प्रदेश के शेष नगर निगम के लिए राज्य शासन अनुदान 85 प्रतिशत और निकाय अनुदान 15 प्रतिशत रहेगा। भोपाल और इंदौर नगर निगम में राज्य शासन अनुदान और निकाय अंशदान क्रमश: 80 और 20 प्रतिशत रहेगा। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) उच्चाधिकार समिति का का गठन भी किया गया।
गोपालपुरा नहर मध्यम परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति
मंत्रि-परिषद् ने सागर एवं दमोह जिले में गोपालपुरा नहर मध्यम परियोजना के कार्य के लिए 7905.21 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति और निवेश निकासी की अनुमति प्रदान की। इस परियोजना से वार्षिक 6114 हेक्टर रबी की सिंचाई हो सकेगी। सागर जिले के 23 और दमोह जिले के 5 ग्राम परियोजना से लाभान्वित होंगे। परियोजना के जरिये सागर जिले के बंडा विकासखंड में पंचम नगर परियोजना के पगरा जलाशय से सिंचाई प्रस्तावित है।
अमीन के पदों के लिये सीमित प्रतियोगी परीक्षा होगी
मंत्रि-परिषद् ने जल संसाधन विभाग में अमीन के रिक्त पदों की पूर्ति के लिए विभागीय सेवा भर्ती नियम के प्रावधान में एक बार छूट देने का निर्णय लिया। दी गई छूट के अनुसार सीधी भर्ती के स्थान पर प्रमुख अभियंता जल संसाधन द्वारा सीमित प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की जाएगी। उम्मीदवार की न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता स्नातक होगी और आयु अधिकतम 35 के स्थान पर 54 वर्ष रहेगी।
आँगनवाड़ी में सप्ताह में 3 दिन मीठा दूध
प्रदेश की आँगनवाड़ियों में सप्ताह में तीन दिवस दुग्ध प्रदाय का निर्णय लिया गया। मंत्रि-परिषद् के इस निर्णय से आँगनवाड़ियों के 29 लाख और सभी प्राथमिक शालाओं के 45 लाख 84 हजार बच्चों को लाभ मिलेगा। मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम में बच्चों को 100 एमएल मात्रा में मीठा सुगंधित दूध प्रदाय किया जाएगा।
आदिवासी ऋण प्रकरणों में एकमुश्त समझौता योजना स्वीकृत
मंत्रि-परिषद् ने आदिवासियों के ऋण के बोझ को कम करने की दृष्टि से एकमुश्त समझौता योजना 2015 स्वीकृत की। योजना में आदिवासियों से मूलधन की राशि ही वसूल की जाएगी। किसी भी हितग्राही से दंड ब्याज नहीं लिया जाएगा। वर्ष 1994-95 से वर्ष 2012-13 तक की अवधि में मध्यप्रदेश आदिवासी वित्त एवं विकास निगम के माध्यम से वित्त पोषित कुल 5332 आदिवासी हितग्राही योजना से लाभान्वित होंगे। जिन हितग्राहियों ने 75 प्रतिशत ऋण राशि वसूली के रूप में जमा कर दी है उन्हें ब्याज और दंड ब्याज से पूर्ण छूट दी गई है। शेष बकायादारों पर भी मात्र 5 प्रतिशत अथवा 10 प्रतिशत व्याज प्रकरण अनुसार लिए जाने का प्रावधान रखा गया है।
झाबुआ में इंजीनियरिंग कॉलेज इसी सत्र से
मंत्रि-परिषद् ने प्रदेश के आदिवासी अंचल झाबुआ में इंजीनियरिंग महाविद्यालय इसी सत्र से प्रारंभ करने का निर्णय लिया। यह महाविद्यालय राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी महाविद्यालय की घटक संस्था के रूप में शैक्षणिक सत्र 2015-16 से संचालित होगा। दो संकाय मेकेनिकल इंजीनियरिंग और कम्प्यूटर साइंस में 60 प्रवेश क्षमता के साथ पॉलीटेक्निक कॉलेज परिसर झाबुआ में महाविद्यालय प्रारंभ किया जा रहा है। महाविद्यालय की स्थापना के लिए नि:शुल्क भूमि देने और भूमि हस्तांतरण के दस्तावेज पर पंजीयन एवं मुद्रांक शुल्क से छूट का निर्णय मंत्रि-परिषद् द्वारा पूर्व में लिया जा चुका है। मंत्रि-परिषद् ने इस महाविद्यालय के लिए शैक्षणिक संस्था के लिए आवश्यक संसाधन उपलबध न होने और भावी विस्तार योजना के अनुरूप यह भूमि न होने के कारण पूर्व में लिए गए भूमि आवंटन आदेश को निरस्त भी किया है। अब झाबुआ जिले के ग्राम गडवाड़ा में आवंटित शासकीय भूमि 10.85 हेक्टर भूमि राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पक्ष में नि:शुल्क आवंटित करने का निर्णय लिया गया।