RTO घोटाला: मात्र 500 रुपए में मौत की बस सर्टिफाइड

भोपाल। हम मप्र के दूसरे जिलों की बात ही नहीं कर रहे। मध्यप्रदेश की राजधानी में यह खुला खेल चल रहा है। मात्र 500 रुपए में खटारा से खटारा बस का फिटनेस सर्टिफिकेट लिया जा सकता है। एक्सीडेंट होते हैं, लोग कभी ड्रायवर को तो कभी किसी और को गुनहगार मानते हैं परंतु आरटीओ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती जो 800 रुपए में हत्यारे ड्रायवरों और 500 रुपए में खटारा बसों को लाइसेंस बेच रहे हैं।

ये रही एक नजीर, चाहिए तो सबूतों का ढेर लगा दें
  • दिनांक 03 जून 2015
  • स्थान क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय
  • समय दोपहर एक बजे।

स्कूल बस एमपी-04 पीए-0475 फिटनेस रैंप पर आती है। फिटनेस ब्रांच का कर्मचारी तीनों एंगल (फ्रंट, लेफ्ट व राइट) पर लगे कैमरे से स्कूल बस की फोटो क्लिक करता है। यह फोटो सॉफ्टवेयर की मदद से कम्प्यूटर में फीड हो जाता है। इस फिजिकल इंस्पेक्शन और गाड़ी की कंडीशन जांचने के लिए कोई भी सब-इंस्पेक्टर मौके पर मौजूद नहीं। फिर भी, महज दो मिनट में एक गाड़ी की फिटनेस जांच पूरी।

आरटीओ में वाहनों की फिटनेस चेक करने का यह फास्ट तरीका चौंकाने वाला है। इससे आरटीओ कम समय में ज्यादा वाहनों की चेकिंग तो कर लेते हैं, लेकिन यही लापरवाही सड़कों पर घातक साबित होती हैं। आरटीओ में हो रही वाहनों की जांच की असलियत जानने के लिए दैनिक भास्कर ने पूरा एक दिन आरटीओ में बिताया।

सही जांच के लिए 25 मिनट चाहिए
सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार कोई भी गाड़ी फिजिकल टेस्ट के लिए आरटीओ में आती है तो गाड़ी की भौतिक उपस्थिति, फिटनेस आवेदन फॉर्म, फीस की रसीद, बीमा व आरसी की कॉपी जमा की जाती है। इसके बाद सब-इंस्पेक्टर रैंक के परिवहन अधिकारी (एआरटीओ, आरटीआई) गाड़ी का फिजिकल इंस्पेक्शन व कंडीशन चेक करते हैं।

गाड़ी के फिजिकल इंस्पेक्शन में गाड़ी स्टार्ट होती है या नहीं इसके अलावा शीशे, गियर बॉक्स, टायर रिमोट, प्रदूषण की जांच, ब्रेक, इंडिकेटर, रेडियम, इंजन, नंबर प्लेट, बैक मिरर समेत अन्य बिंदुओं के आधार पर जांच की जाती है। इस प्रक्रिया से फिटनेस चेकिंग में कम से कम 25 मिनट का समय लगता है।

पूर्व परिवहन आयुक्त एनके त्रिपाठी का कहना है कि अगर गंभीरता से जांच की जाए तो एक गाड़ी की जांच में 7-8 लोग लगेंगे।

कॉलेज बस अंदर से
1 . टूटा स्पीड मीटर
2. आग बुझाने के लिए यंत्र नहीं
3. बच्चों की सीट के बीच जगह कम

70 गाड़ियों की हर दिन जांच
आरटीओ में रोजाना सुबह 10 से शाम पांच बजे के बीच मात्र आठ घंटे में 70 गाड़ियों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं। सोमवार को यह आंकड़ा 100 के पार पहुंच जाता है।

प्राइवेट फिटनेस सेंटर शुरू होने चाहिए
गाड़ियों की फिटनेस के लिए 2007 में इंदौर में प्राइवेट फिटनेस सेंटर शुरू करवाए गए थे। करीब एक साल बाद यह प्रोजेक्ट सरकार की उदासीनता के कारण बंद हो गया। सरकार को फिर से इन सेंटर को शुरू करने के लिए प्रयास करना चाहिए। गाड़ी की फिटनेस जांच में कम से कम 25 मिनट का समय लगता है। यदि दो मिनट में गाड़ी की फिटनेस हो रही है तो निश्चित भविष्य में दुर्घटना से इंकार नहीं किया जा सकता।
एन के त्रिपाठी, पूर्व आयुक्त परिवहन

RTO ने कहा
गाड़ियों की फिटनेस जांच नियमों के तहत परिवहन निरीक्षक करते हैं। इस कारण गड़बड़ी होने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता। घिसे टायर और बिना हार्न वाली गाड़ी को फिटनेस नहीं दिया जाता। जिन्हें फिट दिया है, उनके सर्टिफिकेट निरस्त होंगे।
विपिन कांत, आरटीओ

पैसे दो, फिटनेस लो
आप यहां पर सिर्फ अपनी गाड़ी लाइए। बस पांच सौ रुपए ज्यादा देना होगा। बाकी मेरी जुगाड़ है। सब काम आसानी से हो जाएंगे। बस पैसा दो सब हो जाएगा।
एक आरटीओ एजेंट

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