RSS ने राममंदिर के लिए बनाया मास्टर प्लान

Bhopal Samachar
नईदिल्ली। राम मंदिर के मुद्दे पर मोदी सरकार भले ही खामोश हो, लेकिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) ने यह मुद्दा नहीं छोड़ा है। खबर है कि आरएसएस ने राम मंदिर के मुद्दे को एक बार फिर से चर्चा में लाने के मकसद से योजना बनानी शुरू कर दी है। रविवार को हुई एक आंतरिक बैठक में संघ पदाधिकारियों ने यह फैसला लिया है।

वाराणसी में आरएसएस, वीएचपी और बीजेपी नेताओं के साथ बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, '2017 में यूपी में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राम मंदिर के मुद्दे को आंदोलन के तौर पर सशक्त करना है। क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो लोग लोकसभा चुनावों के दौरान किए गए राम मंदिर बनाए जाने के दावे को लेकर सवाल खड़े करेंगे।' बता दें कि भागवत, निवेदिता शिक्षा सदन में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहे थे।

बोले केंद्रीय मंत्री- 'राम मंदिर हमारी पहचान है'
भागवत का बयान उस वक्त आया है जब इस मुद्दे पर लोकसभा चुनाव के बाद से ही चुप्पी साधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजधानी में योग दिवस के कार्यक्रम को सफल बनाने में जुटे थे। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी संघ प्रमुख से मुलाकात के दौरान राज्यसभा में सदस्यता कम होने की बात कहते हुए मुद्दे से किनारा किया था। हालांकि मोदी सरकार में मंत्री, कलराज मिश्र वाराणसी में आरएसएस की इस बैठक में मौजूद थे।

कलराज मिश्र ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि मीटिंग में राम मंदिर बनाने के मसले पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा, 'राम मंदिर हमारी पहचान है। हम इसे किसी भी हालत में नहीं छोड़ सकते हैं। पूरी प्लानिंग के साथ यह मुद्दा सामने लाया जाएगा। सभी लोग इस पर रणनीति बनाने में जुटे हैं।' दिलचस्प बात ये है कि अब तक कलराज मिश्र राम मंदिर से जुड़े सवालों को टालते रहे हैं।

मोदी सरकार से नाराज है संघ!
सूत्रों के मुताबिक, भागवत ने मीटिंग के दौरान मोदी सरकार के मंत्रियों और सांसदों के उन बयानों पर भी नाराजगी जताई तो संघ परिवार के महत्वपूर्ण मुद्दों के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप और गलत बयानबाजी के चलते मंत्री और सांसद संघ के असल मुद्दों को धूमिल कर रहे हैं। यही नहीं, इससे जनता के बीच भी गलत संदेश जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, बैठक में संघ के 22 नेता मौजूद थे। ये नेता 1990 में चलाए गए राम मंदिर अभियान का हिस्सा रहे हैं और दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय अयोध्या में मौजूद थे।

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