भोपाल। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि (आरजीपीवी) से पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने इंजीनियरिंग के छात्रों को स्कॉलरशिप देने का काम छीन लिया है। विभाग ने यह निर्णय सोमवार को आयोजित बैठक में लिया है। बैठक में यह भी तय किया गया है कि विभाग अब सीधे छात्रों को स्कॉलरशिप देगा इसके लिए किसी संस्था को नोडल एजेंसी नहीं बनाया जाएगा।
आरजीपीवी के प्रशासनिक भवन में विभाग के एडीशनल चीफ सेकेट्री (एसीएस) राकेश अग्रवाल और कमिश्नर उर्मिला मिश्रा ने स्कॉलरशिप दिए जाने की समीक्षा की। इसमें कॉलेज के प्रिंसिपल और छात्र भी मौजूद थे। आरजीपीवी में होने के बाद भी बैठक में नोडल अधिकारी संजय शिलाकारी से लेकर कोई अधिकारी नहीं पहुंचा। इसे एसीएस अग्रवाल ने गंभीर मामला भी बताया। साथ कुछ कॉलेज के प्रिंसिपल ने इसे अधिकारियों का अपमान बताया। इसके अलावा जिस हॉल में बैठक रखी गई थी उसके एयरकंडीशनर भी बंद थे। जिससे अधिकारी समेत बैठक में मौजूद तमाम लोग परेशान होते रहे।
दो साल से अटकी है स्कॉलरशिप
बैठक में समीक्षा के दौरान सामने आया कि करीब दस इंजीनियरिंग छात्रों को दो साल से स्कॉलरशिप ही नहीं मिली है। यह है शैक्षणिक सत्र 2013-14 और 2014-2015। जबकि विभाग दो महीने पहले ही चालीस करोड़ की राशि दे चुका है। यह राशि विभाग और आरजीपीवी के ज्वाइंट एकॉउंट में जमा है। स्कॉलरशिप नहीं मिलने से छात्र फीस जमा नहीं कर पा रहे हैं। इसे लेकर छात्रों ने अपनी समस्याएं भी रखी।
अब तक यह थी प्रक्रिया
अब तक छात्रों को अपने कॉलेज में स्कॉलरशिप के लिए आवेदन देना होता था। आवेदन के आधार पर कॉलेज इसे आरजीपीवी को फॉरवर्ड करते थे। जांच के बाद विभाग की मंजूरी लेकर आरजीपीवी प्रशासन छात्रों को एकॉउंट में स्कॉलरशिप की राशि जमा करता था।
नियम नहीं फिर भी रोकी स्कॉलरशिप
बैठक में समीक्षा के दौरान सामने आया कि नियमों विपरीत जाकर स्कॉलरशिप रोक दी गई हैं। राज्य शासन के नियमों के मुताबिक यदि कोई छात्र को बैक लगता है और वो आगे पढ़ने के लिए योग्यता रखता है तो उसे स्कॉलरशिप की राशि दी जानी चाहिए लेकिन उसकी स्कॉलरशिप की राशि रोक दी गई है। इसकी वजह बताई जाती है कि उसे सप्लीमेंट्री आई है। इसी तरह ट्यूशन फीस की राशि भी बिना वजह ही रोकी गई हैं।
नहीं रिसीव किया मोबाइल
इस बारे में आरजीपीवी का पक्ष जानने के लिए कुलपति प्रो. पीयुष त्रिवदी और नोडल अधिकारी संजय शिलाकारी को मोबाइल लगाए गए, लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया।
