भोपाल। राजधानी में लो-फ्लोर बसों के बेहतर संचालन के लिए महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों, नि:शक्तजनों और विद्यार्थियों को किराए में छूट दी जाएगी। साथ की बस स्टैंड व बस स्टॉप को व्यवस्थित किया जाएगा।
दरअसल, नगरीय प्रशासन विभाग ने बंद हो रही लो फ्लोर बसों को व्यवस्थित ढंग से चलाने को लेकर प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसमें इस तरह के बिंदु शामिल किए गए हैं। यह प्रस्ताव बस ऑपरेटरों की ओर से दिए गए सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है। जल्द ही इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए कैबिनेट में रखा जाएगा।
नगरीय प्रशासन विभाग ने मांगा STU का दर्जा
प्रस्ताव के अनुसार नगरीय प्रशासन विभाग अपनी ताकत बढ़ाने के लिए स्टेट ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (एसटीयू) का दर्जा मांगने जा रहा है। इसके तहत शहरों में यू-एमटीसी (यूनिफाइड मेट्रो पोलिटन ट्रांसपोर्ट काउंसिल) का गठन होगा। जिसमें नगरीय प्रशासन के डिविजन डॉयरेक्टर, कलेक्टर, बीसीएलएल के सीईओ सहित आरटीओ, पुलिसकर्मी शामिल रहेंगे।
इस काउंसिल के पास ही आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस जैसा अधिकार रहेगा। शहरों के बस ऑपरेटरों ने शहर में अवैध रूप से संचालित वाहनों की समस्या बताई थी। इस पर कार्रवाई के लिए ऐसे वाहनों का निरीक्षण और उनका चिन्हांकन कर सूची आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस को भेजा जाएगा।
यह भी है प्रस्ताव में
- पैसेंजर फॉल्ट सिस्टम, (पीएफएस) लागू करना। इसके लागू होने से बिना टिकट यात्रियों पर जुर्माना होगा।
- ऑटोमैटिक फेयर रिवीजन (एएफआर)। इस व्यवस्था से डीजल के रेट के घटने-बढ़ने के तत्काल बाद किराए में परिवर्तन हो जाएगा।
- किस रूट पर कितने वाहन चलें, मार्गों का सूत्रीकरण कैसे हो यह अधिकार काउंसिल के पास होंगे। परमिट देने का अधिकार होगा।
- काउंसिल को परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस के समान वाहनों के निरीक्षण, जुर्माना का अधिकार होगा।
- यात्रियों को असुविधा से बचाने के लिए पुलिस द्वारा बसों की जब्ती सिर्फ डिपो से कर सकेगी।
- शहरों में जल्द शहर स्तरीय डेडिकेटेड अर्बन ट्रांसपोर्ट फंड (सी-यूएमटीसी) का गठन किया जाए।
- शहरों में लोक परिवहन से संबंधित अधोसंरचना जैसे पार्किंग, बस स्टैंड, बस स्टॉप, एफओबी, विज्ञापन संबंधी कार्य किया जाए।
- भोपाल, इंदौर, जबलपुर और उज्जैन को शहर स्तरीय डेडिकेटेड अर्बन ट्रांसपोर्ट फंड के लिए रास्त स्तरीय डेडिकेटड अर्बन ट्रांसपोर्ट फंड से क्रमश: 10 करोड़, 10 करोड़ और पांच करोड़ जारी किए जाएं।
जरूरत क्यों पड़ी
जेएनएनआरयूएम का संचालन करने वाली कंपनियांे को ऑपरेटर की श्रेणी में ही आते हैं। इनके पास सरकार के उपक्रम का दर्जा प्राप्त नहीं है। इसलिए किराया निर्धारण करना हो या रूट सूत्रीकरण इसमें लंबा समय लगता है। स्टेट ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (एसटीयू) का दर्जा प्राप्त होने के बाद यह सरकार का उपक्रम बन जाएगा। इससे समस्याओं को दूर करना आसान हो जाएगा। जानकारों की मानें तो मप्र सड़क परिवहन निगम की तरह नगरीय प्रशासन विभाग को अधिकार प्राप्त हो जाएंगे।
दो बार ले चुके हैं ऑपरेटरों से सुझाव
गौरतलब है कि गत 6 अप्रैल और 9 मई को नगरीय प्रशासन संचालनालय में आयुक्त की अध्यक्षता में बस ऑपरेटरों की बैठक हुई थी। जिसके बाद ऑपरेटरों के सुझाव लिए गए थे। बैठक में ऑपरेटरों ने कई तरह की समस्याएं बताई थीं।
