जबलपुर। राज्य में दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट की अनिवार्यता के मामले पर हाईकोर्ट ने एक बार फिर सख्ती दिखाई। इसके तहत कहा गया कि सिर्फ चालान की कार्रवाई से काम नहीं चलेगा। इसके स्थान पर जमीनी स्तर पर ठोस कदम उठाए जाएं। जिसकी रिपोर्ट हर हाल में 14 जुलाई तक पेश करनी होगी।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर व जस्टिस केके त्रिवेदी की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता साइंस कॉलेज के प्रो.एके बाजपेयी सहित अन्य की ओर से पक्ष रखा गया। कोर्ट मित्र बतौर अधिवक्ता अनूप नायर खड़े हुए। इन सभी ने हेलमेट की अनिवार्यता सुनिश्चित करने के नाम पर पुलिस का पूरा ध्यान महज चालान काटने पर होने की स्थिति को चिंताजनक निरूपित किया गया।
साढ़े 6 करोड़ वसूले
राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि हाईकोर्ट के आदेश-निर्देश का पूरी तत्परता से पालन किया जा रहा है। इसके तहत पिछले 40 दिनों में 82 हजार चालान काटे गए। वहीं पिछले 5 माह में साढ़े 3 लाख चालानी कार्रवाई के जरिए 6 करोड़ का जुर्माना वसूला गया।
शाबासी नहीं डांट मिली
हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करके राज्य शासन शाबासी की उम्मीद लगाए बैठा था लेकिन हाईकोर्ट ने बजाए पीठ थपथपाने के जमीनी हकीकत के आधार पर फटाकर लगा दी। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि महज चालान भर काट देने से दोपहिया वाहन सवारों को हेलमेट पहनने जागरुक नहीं किया जा सकता। इसके लिए मनोवैज्ञानिक धरातल पर गंभीर उपाय करने होंगे। ऐसा करने पर ही सभी दोपहिया वाहन सवार हेलमेट लगाकर अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकेंगे।