ग्वालियर। मप्र में भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारियों को पकड़ने वाले लोकायुक्त के ही एक डीएसपी पर भ्रष्टाचार से काली कमाई का आरोप लगा है। हाईकोर्ट ने इस मामले में लोकायुक्त से सवाल पूछा है कि वो भ्रष्टाचार के आरोपी अपने अफसर को क्यों बचा रहा है। बता दें कि हाईकोर्ट इस मामले में 2 बार स्टेटस रिपोर्ट मांग चुका है परंतु लोकायुक्त पेश ही नहीं कर रहा। अब हाईकोर्ट ने 3 जुलाई की तारीख तय की है।
केदारीलाल वैश्य ने विशेष अपर सत्र न्यायाधीश सभापति यादव के यहां एक परिवाद दायर किया है। इसमें बताया गया है कि लोकायुक्त के पूर्व डीएसपी रामलखन सिंह भदौरिया 1 जुलाई 1979 को एसआई के पद पर भर्ती हुए थे। उन्होंने 1979 से 1994 तक वेतन से 2 लाख 22 हजार 300 रुपए की आय अर्जित की है, लेकिन इस बीच उन्होंने करीब 35 लाख रुपए की संपत्ति अर्जित की है। यह आय से 1500 गुना अधिक है। इनकी शिकायत लोकायुक्त भोपाल व एसपी लोकायुक्त ग्वालियर से की, लेकिन उन्होंने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। कोर्ट ने इस परिवाद पर लोकायुक्त से जवाब मांगा था।
वहीं, इस मामले में लोकायुक्त ने बताया था कि भदौरिया 31 जुलाई 2014 को सेवानिवृत्त हो गए थे, लेकिन 5 अगस्त 2014 को लोकायुक्त को शिकायत प्राप्त हुई थी। जब यह शिकायत आई थी तब वे लोक सेवक नहीं रहे थे। इसलिए लोकायुक्त को जांच का अधिकार नहीं है। साथ ही जांच के लिए अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिली थी, जबकि परिवादी की ओर से लोकायुक्त जवाब पर काउंटर करते हुए कोर्ट को बताया कि सेवानिवृत्त अधिकारी या कर्मचारी की जांच के लिए अभियोजन की जरूरत नहीं होती है।
9 अप्रैल को कोर्ट ने श्री भदौरिया के खिलाफ लोकायुक्त को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का केस दर्ज करने के आदेश दिए थे और उसकी स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को निर्देशित किया, लेकिन लोकायुक्त ने जांच रिपोर्ट पेश नहीं की। नाराजगी जाहिर करते हुए 3 जुलाई तक स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।