जबलपुर। शिक्षा विभाग में राजनीति और रिश्वतखोरी किस कदर हावी हो गई है, यह मामला इसका ताजा प्रमाण है। एक अंधा शिक्षक शहर से 40 किलोमीटर दूर नदी पार करके पढ़ाने जाता है जबकि कई हष्टपुष्ट और स्वस्थ शिक्षक मुख्यालय पर अटैच हैं। खुद कलेक्टर ने इस शिक्षक को मुख्यालय पर अटैचमेंट के लिए आदेशित किया था लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ।
सर मैं ब्लाइंड शिक्षक हूं और 2008 से अटैचमेंट के लिए आवेदन कर रहा हूं लेकिन आज तक शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने मेरे आवेदन पर विचार नहीं किया। कलेक्टर शिवनारायण रूपला के सामने पहुंचे शिक्षक संतोष मिश्रा ने इस जानकारी से कलेक्टर को अवगत कराया। शिक्षक ने ये भी कहा कि आपके कहने के बाद भी अटैचमेंट की सूची में मेरा नाम नहीं जोड़ा जा सका। हालांकि 28 जून से होने वाले ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया में भी शिक्षक शामिल हो चुका है। बावजूद इसके डीईओ कार्यालय ने विकलांग के आवेदन की अनदेखी कर दी।
ऐसे बताई पीड़ा
श्री रूपला को शिक्षक ने बताया कि शिक्षा अधिकारी कार्यालय में दर्जनों बार आवेदन पेश किया जा चुका है। मेरिट सूची से लेकर विभाग की सूची में हर बार नाम चढ़ाया जाता है लेकिन कभी शहर में वापस आने नहीं मिलता। पता नहीं कैसे अच्छे भले शिक्षकों को शहर में रखा जा रहा है और विकलांगों को 40 किलोमीटर दूर पढ़ाने भेज दिया जाता है। श्री रूपला ने शिक्षक को भरोसा दिलाया और कहा कि जल्द अफसरों से चर्चा कर उचित निर्णय लिया जाएगा।