भोपाल। योगेश उपरीत की गिरफ्तारी के बाद खुला डीमेट घोटाला मप्र की राजनीति में किसी डायनामाइट धमाके से कम नहीं है। सबूतों का गट्ठर तैयार है, 24 से ज्यादा डॉक्टर सरकारी गवाह बनने को तैयार हैं, लेकिन अब तक एक अदद एफआईआर नहीं हो पाई है। सब जानते हैं कि इस धमाके में कई मंत्रियों की राजनीति तबाह हो जाएगी, कई अधिकारियों का करियर मरणासन्न हो जाएगा। पूरे प्रदेश में 5500 डॉक्टरों को जेल जाना पड़ेगा, लेकिन प्रश्न यह है कि इतने गंभीर मामले में मध्यप्रदेश के कथित ईमानदार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान क्यों चुप हैं। अब तक उन्होंने इसकी जांच के आदेश क्यों नहीं दिए। क्या सबूतों को खुर्दबुर्द करने की कोशिश करने वालों को सीएम हाउस से सपोर्ट मिल रहा है।
खबर आ रही है कि निजी मेडिकल कॉलेजों का फर्जीवाड़ा उनके ही छात्र एसआईटी के सामने उजागर करने को तैयार हैं। डीमेट फर्जीवाड़े को लेकर अब तक भले ही कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है, लेकिन सबूतों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है। एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डेंटल मेडिकल कॉलेज (एपीडीएमसी) के कोषाध्यक्ष योगेश उपरीत के बयानों के साथ ही फर्जीवाड़े की गवाही देने को लेकर 24 आवेदन ग्वालियर एसआईटी को अब तक मिल चुके हैं।
हालांकि एसआईटी ने मामला दर्ज नहीं होने के कारण इन आवेदनों पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। मालूम हो कि एपीडीएमसी ही डेंटल एंड मेडिकल इंट्रेंस टेस्ट (डीमेट) करवाता है।
एसआईटी सूत्रों के मुताबिक इंदौर के निजी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले नौ और भोपाल के निजी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले 15 छात्रों के आवेदन अब तक आ चुके हैं। यह सभी छात्र सरकारी गवाह बनना चाहते हैं। आवेदन में छात्रों ने यह स्वीकार किया है कि उनका चयन रुपए देकर डीमेट में हुआ है। उन्हें नहीं मालूम था कि यह अपराध है। वे सरकारी गवाह बनकर इस बात की पूरी जानकारी देना चाहते हैं कि उनका चयन कैसे और किस माध्यम से हुआ है।
हालांकि ग्वालियर एसआईटी प्रभारी वीरेंद्र जैन छात्रों के आवेदन प्राप्त होने की जानकारी से इंकार कर हैं। साथ ही उनका यह भी कहना है कि यदि कोई इस तरह का आवेदन देना भी चाहता है तो वो एसटीएफ भोपाल को दे सकता है। बताया जाता है कि सुरक्षा कारणों की वजह से एसआईटी इन छात्रों के नामों का खुलासा नहीं कर रही है।
गौरतलब है कि व्यापमं घोटोले के आरोपी और एपीडीएमसी के कोषाध्यक्ष योगेश उपरीत के बयानों से डीमेट में व्यापक स्तर हुए फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। इसके बाद ही निजी मेडिकल कॉलेज संचालकों के साथ ही रुपए देकर अपना चयन करवाने वाले मेडिकल छात्रों में भय का माहौल बना हुआ है। छात्रों द्वारा गिरफ्तारी के डर से ही इस तरह के आवेदन पहले ही दे दिए गए हैं। हालांकि मामले में किसी भी तरह की कार्रवाई एफआईआर दर्ज होने के बाद ही शुरू होगी।
यह है मामला
ग्वालियर एसआईटी ने उपरीत को 3 जून को गिरफ्तार किया था। उपरीत पर आरोप है कि उसने जबलपुर के डॉ एमएस जौहरी की बेटी डॉ ऋचा का चयन प्रीपीजी 2010 में पच्चीस लाख रुपए लेकर कराया था। इसके अलावा डीमेट में भी सौ फीसदी चयनित छात्र फर्जी तरीके से पास हुए थे। इसके लिए उनकी ओएमआर शीट में गोले लगाए गए थे।