जबलपुर। यदि कोई अवैध निर्माण होता है और निगरीय निकाय समय रहते कार्रवाई नहीं करते तो बाद में उसे अवैध बताकर तोड़ना अब आसान नहीं होगा। हाईकोर्ट ने इस तरह की कार्रवाई पर आपत्ति जताई है। मामला नगरनिगम कटनी का है जिसने एक भवन को निर्माण के डेढ़ साल के बाद अवैध करार देते हुए तोड़ने का नोटिस दिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने निगम की कार्रवाई पर रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति वंदना कासरेकर की ग्रीष्म अवकाशकालीन एकलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता कटनी निवासी अशोक शुक्ला का पक्ष अधिवक्ता शरद गुप्ता ने रखा। उन्होंने दलील दी कि नगर एवं ग्राम निवेश विभाग से विधिवत नक्शा स्वीकृत कराने के बाद मकान का निर्माण कार्य शुरू किया गया। साथ ही नगर निगम कटनी में भी आवेदन प्रस्तुत किया गया। चूंकि सात दिन तक आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, अतः मौन स्वीकृति मानकर निर्माण शुरू कर दिया गया। अब जब मकान बन चुका है, तब पूरे डेढ़ साल के बाद नगर निगम निर्माण को अवैध करार देकर तोड़ने की कोशिश में जुट गई है।