खूंटी/झारखंड। ब्लेकमनी और संसद में सवाल पूछने के बदले पैसे मांगने वाले सांसदों की भीड़ में क्या कोई सांसद इतना सरल और ईमानदार भी हो सकता है कि वो सरकार से मिलने वाले अधिकृत लाभ भी ना ले। क्या उस सांसद का परिवार इतना भी सरल हो सकता है कि जीवन यापन के लिए उसकी बेटी बागवानी करे और अपने बगीचे के आम बेचने के लिए खुद सड़क किनारे दुकान लगा ले।
आम बेचने वाली यह महिला आम नहीं है। लगातार आठ बार सांसद व लोकसभा के डिप्टी स्पीकर रह चुके कड़िया मुंडा की बेटी हैं। नाम है चंद्रावती सारू, ये पेशे से शिक्षिका हैं। बगीचे में जरूरत से ज्यादा आम हुए हैं तो उन्हें सड़क किनारे बैठकर बेचने में यह बात आड़े नहीं आई कि वे झारखंड के बड़े नेता की बेटी हैं।
आठ बार सांसद, चार बार केंद्रीय मंत्री और दो बार विधायक रहे कड़िया का जीवन आज के राजनेताओं के लिए एक मिसाल है। व्यक्तिगत जीवन बिल्कुल वैसा ही जैसा अब से चार दशक पहले था, जब वह पहली बार सांसद चुने गए थे। झारखंड के आदिवासियों के संसद में अकेले प्रतिनिधि। आज भी गांव आते हैं तो वैसे ही खेतों में हल-कुदाल चलाते हैं, तालाब में नहाते हैं। नक्सली हिंसा के लिए देश के सबसे खतरनाक खूंटी जिले में मामूली सुरक्षा के साथ घूमते हैं।