पढ़िए 12वीं के टॉपर की आत्महत्या का राज

बुरहानपुर। उसने अपनी क्लास में टॉप किया था। वो 12वीं का मेधावी छात्र था। मेकेनिकल इंजीनियर बनना चाहता था। पिता नगरनिगम में कर्मचारी हैं लेकिन तीन साल से संस्पेंड चल रहे हैं। इसलिए उन्होंने साफ इंकार कर दिया कि प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज की फीस नहीं दे पाएंगे। दुखी छात्र ने नदी में छलांग लगा दी।

जानकारी के मुताबिक, बुरहानपुर के डाकवाडी मोहल्ले में रहने वाले इदरिस अंसारी ने इसी वर्ष 12वीं बोर्ड की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की थी. इदरिस उच्च शिक्षा हासिल करके केमिकल इंजीनियर बनना चाहता था, लेकिन परिवार की तंग आर्थिक हालातों के चलते उसके परिजनों ने उसे आगे पढ़ाई कराने में असमर्थता जताई. अपनी आगे की पढ़ाई न कर पाने से दुखी इदरिस ने आख़िरकार ताप्ती नदी में डूब कर जान दे दी.

पिता के सस्पेंड होने हुई परिवार की माली हालत
दरअसल, मृतक छात्र के पिता शराफत अंसारी नगर निगम में कर्मचारी थे, लेकिन जून 2010 से निलंबित हैं. मृतक के चाचा इश्तियाक हुसैन भी छात्र इदरिस की मौत का कारण परिवार की माली हालत के चलते आगे पढ़ाई नहीं कर पाने को बता रहे हैं.

बहाल होंगे मृतक के पिता
इस घटना के प्रकाश में आने के बाद निगम प्रशासन हरकत आ गया, और सूचना मिलते ही महापौर अनिल भोंसले ने जिला अस्पताल पहुंचकर मृतक छात्र के पिता और निगमकर्मी शराफ़त अंसारी को ढांढस बांधाते हुए निलंबन प्रकरण पर विचार कर उनकी बहाली का आश्वासन दिया है।

सरकारी महकमे पर उठे सवाल
बहरहाल, इस घटना के बाद से ग़रीब छात्र-छात्राओं के लिए सूबे की सरकार की ओर से चलाए जा रहे तमाम योजनाओं पर  सावलिया निशान लग रहे हैं. शहर में इस बात की चर्चा ज़ोरों पर है कि नगर निगम हो या और कोई सरकारी महकमा, किसी भी कर्मचारी का निलंबन उसकी नौकरी समाप्ती नहीं होती. अगर समय रहते नगर निगम निलंबित कर्मचारी शराफत अंसारी के प्रकरण को तत्परता से देखते हुए उन्हे बहाल कर देता तो आज देश का भविष्य और होनहार छात्र इदरिस अपनी जीवनलीला समाप्त नहीं करता।

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